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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 2, Issue 5, Part C (2016)

मोहन राकेश कृत "आधे-अधूरे" नाटक में पारिवारिक विघटन

मोहन राकेश कृत "आधे-अधूरे" नाटक में पारिवारिक विघटन

Author(s)
डॉ. एस. प्रीति
Abstract
नाटककार मोहन राकेश ने 'आधे-अधूरे' नाटक में वर्तमान को अतीत के माध्यम से मुखरित करने का मोह छोड़कर वर्तमान से सीधा साक्षात्कार किया है। स्वतंत्रता के पश्चात् मध्यवर्ग में आर्थिक विषमताओं ने क्रमश: पारिवारिक बिखराव मानसिक तनाव और नैतिक पतन को बढ़ावा दिया है। 'आधे-अधूरे' में एक मध्यवर्गीय परिवार की स्थिति को लेकर कथा-वस्तु की सृष्टि की गयी है, पति-पत्नी के गृह कलह को आधार बनाकर नाटककार पत्नी की काम कुण्ठाओं तथा पति के आत्म विश्वास रहित एक बेरोजगार व्यक्तित्व का विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए बताया है कि किस प्रकार ये कुण्ठाएँ पारिवारिक जीवन को क्लेशपूर्ण एवं असहनीय बना देती है। परिवार का प्रत्येक सदस्य परिवार से ऊब चुका है और घर में रहते हुए घुटन का अनुभव करता है।
Pages: 151-153  |  3544 Views  359 Downloads
How to cite this article:
डॉ. एस. प्रीति. मोहन राकेश कृत "आधे-अधूरे" नाटक में पारिवारिक विघटन. Int J Appl Res 2016;2(5):151-153.
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