Vol. 2, Issue 9, Part C (2016)
‘पदà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤à¥€ समय’ का कावà¥à¤¯-सौंदरà¥à¤¯
‘पदà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤à¥€ समय’ का कावà¥à¤¯-सौंदरà¥à¤¯
Author(s)
डॉ. उतà¥à¤¤à¤® पटेल
Abstract
चंदबरदाई “हिंदी के पà¥à¤°à¤¥à¤® महाकवि माने जाते हैं और इनका ‘पृथà¥à¤µà¥€à¤°à¤¾à¤œ रासो’ हिंदी का पà¥à¤°à¤¥à¤® महाकावà¥à¤¯ है।â€1 जिसमें कवि ने दिलà¥à¤²à¥€ नरेश राजा पृथà¥à¤µà¥€à¤°à¤¾à¤œ के जीवन-चरित को अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किया है। आदिकालीन समय में आये दिन यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† करते थे। इसके मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण थे- 1. राजाओं की आपसी दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ 2. राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अपहरण और 3. राजà¥à¤¯ की सीमा-वृदà¥à¤§à¤¿à¥¤ यही कारण है कि ‘पदà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤à¥€ समय’ जो रासो का बीसवाठसमय है, में कवि चंदबरदाई ने शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार, वीर, रौदà¥à¤°, बीà¤à¤¤à¥à¤¸ à¤à¤µà¤®à¥ à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• रसों का सजीव व यथारà¥à¤¥ अंकन किया है। कवि चंद सिरà¥à¤« कलम के धनी ही नहीं थे। वे समय आने पर तलवार à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते थे। यही कारण है कि ‘पृथà¥à¤µà¥€à¤°à¤¾à¤œ रासो’ में चंद ने जो यà¥à¤¦à¥à¤§- वरà¥à¤£à¤¨ किठहैं वह हिंदी साहितà¥à¤¯ में अननà¥à¤¯ हैं।
How to cite this article:
डॉ. उतà¥à¤¤à¤® पटेल. ‘पदà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤à¥€ समय’ का कावà¥à¤¯-सौंदरà¥à¤¯. Int J Appl Res 2016;2(9):141-143.