Vol. 3, Issue 4, Part K (2017)
अनूप अशेष का कावà¥à¤¯ नाटक-अंधी यातà¥à¤°à¤¾
अनूप अशेष का कावà¥à¤¯ नाटक-अंधी यातà¥à¤°à¤¾
Author(s)
डाॅ0 बीरेनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी
Abstract
अनूप अशेष का कावà¥à¤¯ नाटक ‘अंधी यातà¥à¤°à¤¾â€™ में अपराध के राजनीति पर छा जाने की तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ के उतà¥à¤¸ तक सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾ में पहà¥à¤à¤šà¤¤à¤¾ है। आंखों पर पटà¥à¤Ÿà¥€ बांधे गांधारी पà¥à¤¤à¥à¤° घर-समाज-देश और जनता के बीच जो नित नये नाटक रचते है, उनसे यवनिका ही नहीं उठाता-उस मंच पर मानव चेतना की जागृति का संसार à¤à¥€ रचने को सचेषà¥à¤Ÿ है। इस रचना का आकलन जीवन के कावà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• उतà¥à¤•à¤°à¥à¤· के संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के अनंत आकाश पर कर रहे है। अनूप अशेष का कावà¥à¤¯ नाटक अंधी यातà¥à¤°à¤¾ में इसी सतà¥à¤¯ का रचनातà¥à¤®à¤• सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° है। उनकी यह रचना à¤à¤• शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ साहितà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹ है। अशेष जी हिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित नवगीतकार है। उनके गीत देश की शीरà¥à¤¶à¤¸à¥à¤¥ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ और देश-à¤à¤° में वे कवि के रूप में सहजता से जाने गये है। पर उनका यह कावà¥à¤¯ नाटक के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ में कà¥à¤› समय वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ गया है। अंधी आà¤à¤–ो से सतà¥à¤¤à¤¾ की देवी के पूजन-दरà¥à¤¶à¤¨ की सफलता ने इस दश के सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सामाजिक जातीय पà¥à¤°à¤¸à¤‚गों को आदमी की अनà¥à¤à¥‚तियों से उसके उतà¥à¤¸ से काटने की खूब कोशिश की है। इनà¥à¤¹à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सामना करती यह कृति à¤à¤• आईना है जिसमें मà¥à¤–ौटे वाले वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤µà¤¾à¤¦à¥€ अपनी सूरत देख सकते है। समयांतरता के बाद पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ का कà¥à¤› कारण यह हो सकता है। उसमें सतà¥à¤¤à¤¾ के वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ चरितà¥à¤° का आखà¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¥€ हो सकता है।
How to cite this article:
डाॅ0 बीरेनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी. अनूप अशेष का कावà¥à¤¯ नाटक-अंधी यातà¥à¤°à¤¾. Int J Appl Res 2017;3(4):721-723.