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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 5, Part I (2017)

भारत की परम्पराओंः साम्पतिक अधिकार एवं स्त्री धन में उलझी नारीे

भारत की परम्पराओंः साम्पतिक अधिकार एवं स्त्री धन में उलझी नारीे

Author(s)
डाॅ. अर्चना मिश्रा
Abstract
मध्यकाल में हमारा देश धन-धान्य से परिपूर्ण था। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इस देश पर अपार धन से ही आकर्षित होकर अनेक बार आक्रमण किये। यहाँ की आर्थिक समृद्धि ही महमूद गजनवी को बार-बार आक्रमण करने के लिये प्रेरणा देती रही। मोहम्मद बिन कासिम और महमूद गजनवी दोनों ने ही भारत के अपार सोने तथा बहुमूल्य रत्नों के भंडारों को लूटा जिसका वर्णन तत्कालीन लेखों में किया गया है। इनके अनुसार महमूद गजनवी स्वदेश लौटते समय हिंदुस्तान की अपार संपदा को ऊंटों, घोड़ों एवं खच्चरों में लाद कर ले गया था परंतु इतने विशाल पैमाने पर की गई लूटपाट के पश्चात भी देश की आर्थिक दशा सोचनीय नहीं हो सकी, क्योंकि उत्पादन के प्रमुख साधनों को नष्ट करना विदेशी आक्रमणकारियों के लिए संभव नहीं था। प्रारंभिक आक्रमणकारियों की लूट ने हमारे देश की आर्थिक दशा पर विशेष प्रभाव नहीं डाला। मध्यकालीन आर्थिक जीवन की जानकारी अबुल फजल की रचना आईन-ए-अकबरी। 1 समकालीन साहित्यिक रचनायें तथा विदेशी पर्यटकों के वर्णन से मिलती है।
अध्ययन से हम इस निष्कर्ष में आते हैं कि मध्यकाल में नारियों की आर्थिक स्थिति उन्नति थी। मध्यकाल में धातु उद्योग का भी पर्याप्त विकास हुआ था। धातुओं से विभिन्न प्रकार के औजार बनाये जाने थे। 2 उच्च वर्ग के लोगों की संपन्नता अनेक उच्च जीवन स्तर, खान-पान, पोशाक आभूषण एवं रहन-सहन से स्पष्ट झलकती है। आर्थिक दृष्टि से उच्च वर्ग की नारियों की दशा अच्छी थी। मध्यम वर्ग की नारियों की आर्थिक दशा साधारण थी। निम्न वर्ग की नारियों की आर्थिक स्थिति अच्छी न थी, उन्हें जीवन यापन के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उच्च वर्ग के लोग उनका शोषण करते थे।

Pages: 606-610  |  1156 Views  102 Downloads
How to cite this article:
डाॅ. अर्चना मिश्रा. भारत की परम्पराओंः साम्पतिक अधिकार एवं स्त्री धन में उलझी नारीे. Int J Appl Res 2017;3(5):606-610.
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