Vol. 3, Issue 7, Part N (2017)
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में दलितों की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में दलितों की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿
Author(s)
Pooja
Abstractआज à¤à¤¾à¤°à¤¤ को आजाद हà¥à¤ काफी समय बीत चà¥à¤•à¤¾ है। फिर à¤à¥€ हमारे समाज में दलितों को तà¥à¤šà¥à¤› व हीन दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखा जाता है। दलित वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आज à¤à¥€ आजादी के लिठरोता है। वह कहता है, चाहे à¤à¤¾à¤°à¤¤ आज आजाद हो चà¥à¤•à¤¾ है लेकिन दलित अब à¤à¥€ गà¥à¤²à¤¾à¤® हैं। वह सवरà¥à¤£à¥‹à¤‚ के शिकार होते जा रहे हैं, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दिन-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ अनेकों समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को सहना पड़ता है। सामाजिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखा जाठतो दलित हर तरह के सà¥à¤–-सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं, उलà¥à¤²à¤¾à¤¸, समानता, सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾, मौलिक अधिकार व करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आदि सब से अछूते हैं। हर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उनके मान-समà¥à¤®à¤¾à¤¨ को ठेस पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥€ आई है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज की लोक-तांतà¥à¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में अपनी आसà¥à¤¥à¤¾ रखने वाले हर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठसमानता, सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾, बंधà¥à¤¤à¤¾ और सामाजिक लोकतंतà¥à¤° का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– अधिकार है। वह मान-समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ कही à¤à¥€ रह सकते हैं।
How to cite this article:
Pooja. à¤à¤¾à¤°à¤¤ में दलितों की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿. Int J Appl Res 2017;3(7):969-970.