Vol. 4, Issue 12, Part F (2018)
उदà¥à¤à¤µ और विकास
उदà¥à¤à¤µ और विकास
Author(s)
डाॅ. कंचनलता सिंह
Abstract
आलोचना का अरà¥à¤¥ साधारणतः देखना ही माना जाता है पर डाॅ0 शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¸à¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दास का कहना है “साहितà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ को पà¥à¤•à¤° उसके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ और दोषों विवेचन करना और उसके समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में अपना मत पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करना, आलोचना कहलाता है। यह आलोचना कावà¥à¤¯, उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸, नाटक, निबनà¥à¤§ आदि सà¤à¥€ की हो सकती है। यहाठतक की सà¥à¤µà¤¯à¤‚ आलोचनातà¥à¤®à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की आलोचना हो सकती है।
How to cite this article:
डाॅ. कंचनलता सिंह. उदà¥à¤à¤µ और विकास. Int J Appl Res 2018;4(12):395-397.