Vol. 5, Issue 1, Part E (2019)
शà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾à¤œ सिंह बेचैन की कविताओं में जाति à¤à¤µà¤‚ वरà¥à¤—-चेतना
शà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾à¤œ सिंह बेचैन की कविताओं में जाति à¤à¤µà¤‚ वरà¥à¤—-चेतना
Author(s)
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
साहितà¥à¤¯ और इतिहास à¤à¤•-दूसरे के विरोधाà¤à¤¾à¤¸à¥€ नहीं है, बलà¥à¤•à¤¿ पूरक हैं, साहितà¥à¤¯ के दो पकà¥à¤· होते हैं, पहला à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• और दूसरा राजनीतिक पकà¥à¤·à¥¤ ‘‘शà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾à¤œ सिंह ‘बेचैन’ की कविताओं में जाति à¤à¤µ वरà¥à¤—-चेतना’’ में दलित समाज के विकास के लिठलिखा गया है, जिसमें दलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में शिकà¥à¤·à¤¾ की कमी है, जिस दिन समाज के बचà¥à¤šà¥‡ अपना समाज का इतिहास समठजाà¤à¤‚गे, उस दिन से अपना मौलिक अधिकार और किसी ठाकà¥à¤°à¥‹à¤‚ की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ नहीं करेंगे, शà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾à¤œ सिंह की कई कविता में समाज को जगाने का काम किया गया है, अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° के तीन मंतà¥à¤° पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं, शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ बनों, संगठित हो, संघरà¥à¤· करो। दलित समाज का मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से शिकà¥à¤·à¤¾ ही à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° साधन है।
How to cite this article:
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. शà¥à¤¯à¥Œà¤°à¤¾à¤œ सिंह बेचैन की कविताओं में जाति à¤à¤µà¤‚ वरà¥à¤—-चेतना. Int J Appl Res 2019;5(1):352-354.