Vol. 6, Issue 7, Part A (2020)
डाॅ. उषा किरण खान के कथा-साहितà¥à¤¯ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ समाज
डाॅ. उषा किरण खान के कथा-साहितà¥à¤¯ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ समाज
Author(s)
शमà¥à¤à¥‚ पासवान
Abstract
समाज ही मानवता-शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार का मूल है, लेकिन मानवता की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ साहितà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कई कारणों से अवरूदà¥à¤§, होने के कारण मानवीय वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की विकृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ परवान चॠचà¥à¤•à¥€ हैं। कथाकार उषाकिरण खान की कहानियों, उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚, नाटकों में अनेक वैचारिक या सारांश पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है। उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ‘गई à¤à¥à¤²à¤¨à¥€ टूट’ में गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ लोक के बनते-बिगड़ते, समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§, नारी-मन की वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ और पंचायती राज के ताने-बाने का रेखांकन है। ‘à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€’ में मिथिला के लोकजीवन, इतिहास, कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ विशेषताओं, सामाजिक राजनीतिक-जीवन के साथ ही समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विरासत को उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¤ करती है। ‘सिरजनहार’ में विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ के जीवन-संघरà¥à¤· और जीवन-दà¥à¤µà¤¨à¥à¤¦à¥à¤µ की सृजनातà¥à¤®à¤• अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है। ‘फागà¥à¤¨ के बाद’ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ में मौसम में बदलापव के साथ मानवीय जीवन के बदलते घटनाकà¥à¤°à¤® को विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ और वैचारिक आगà¥à¤°à¤¹ के साथ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। ‘मौसम का दरà¥à¤¦’ कहानी में नायिका का सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤•-जीवन-दरà¥à¤¶à¤¨, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के आलमà¥à¤¬à¤¨ पर ही निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है। ‘कहाठगये मेरे उगना’ नाटक में मैथिल समाज के जनशà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का हिसà¥à¤¸à¤¾ है। मिथिला की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में ‘उगना’ à¤à¤—वान शिव का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ है, जिसकी खोज इस नाटक में विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ करते हैं। ‘हीरा डोम’ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ नाटकों में से à¤à¤• है। यह à¤à¥€ अनà¥à¤à¥‚तिजनà¥à¤¯ सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ का ही पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¬ है।
How to cite this article:
शमà¥à¤à¥‚ पासवान. डाॅ. उषा किरण खान के कथा-साहितà¥à¤¯ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ समाज. Int J Appl Res 2020;6(7):43-45.