Vol. 1, Issue 1, Part D (2014)
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• साहितà¥à¤¯ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¥à¤µà¤°
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• साहितà¥à¤¯ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¥à¤µà¤°
Author(s)
डाॅ. अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾
Abstract
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• साहितà¥à¤¯ में à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ की विविधता है। इसमें à¤à¤• ओर पà¥à¤°à¥‡à¤® और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की à¤à¤²à¤• है तो दूसरी ओर घà¥à¤Ÿà¤¨, अकेलापन और संतà¥à¤°à¤¾à¤¸ है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥ यà¥à¤— से अब तक लिखे जाने वाले à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ साहितà¥à¤¯ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¥à¤µà¤° अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• मà¥à¤–रित हूठहैं। इससे पूरà¥à¤µ à¤à¥€ वैशà¥à¤µà¤¿à¤• पटल पर हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को खूब सराहा गया है। यह संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अनेक à¤à¤‚à¤à¤¾à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ से थपेडे़ खाकर à¤à¥€ अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ रही है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसके अपने सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त, विचार तथा मूलà¥à¤¯ हैं। इसका सबसे पà¥à¤°à¤µà¤² पकà¥à¤· अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® है जिसे ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, विचारकों à¤à¤µà¤‚ साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने सदैव पà¥à¤·à¥à¤Ÿ किया है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥, दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€, पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦, पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द यà¥à¤—ीन साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के विविध सà¥à¤µà¤°à¥‹à¤‚ का चितà¥à¤°à¤£ किया है। इस संबंध में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥ का निबंध ‘वैषà¥à¤£à¤µà¤¤à¤¾ और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤·’ सरदार पूरà¥à¤£à¤¸à¤¿à¤‚ह का ‘आचरण की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾’ जयशंकर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ और पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द का अधिकांश साहितà¥à¤¯, रामधारी सिंह दिनकर का ‘संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के चार अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯’ आदि उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय हैं। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में रामदरश मिशà¥à¤°, मिथलेशà¥à¤µà¤°, असगर वजाहत, हिमांशॠजोशी, à¤à¤°à¤¤ शरà¥à¤®à¤¾ ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤’, सà¥à¤¶à¥€à¤² मोहिनी वरà¥à¤®à¤¾, गोपाल बाबू शरà¥à¤®à¤¾, विकà¥à¤°à¤®à¤¸à¤¿à¤‚ह, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ समूह के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ संपादक गà¥à¤²à¤¾à¤¬ कोठारी आदि उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° हैं जो कमोवेश संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की रकà¥à¤·à¤¾ हेतॠसाहितà¥à¤¯ सृजन कर रहे हैं। यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है कि हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ आज à¤à¥€ विशà¥à¤µ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है।
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डाॅ. अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾. आधà¥à¤¨à¤¿à¤• साहितà¥à¤¯ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¥à¤µà¤°. Int J Appl Res 2014;1(1):321-323.