Vol. 1, Issue 1, Part D (2014)
राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मेले à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¸à¤µ
राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मेले à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¸à¤µ
Author(s)
डाॅ0 संतोष गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾
Abstract
राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आधार लोकरंजन रहा है। यहाठमेले, परà¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¸à¤µà¥‹à¤‚ का विशेष महतà¥à¤µ है। उतà¥à¤¸à¤µà¥‹à¤‚ और परà¥à¤µà¥‹ को तो हम अपने सीमित कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में पà¥à¤°à¤¿à¤¯ परिजनों के साथ मना लेते हैं लेकिन मेलोे का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• है। इनका महतà¥à¤µ सामाजिक, धारà¥à¤®à¤¿à¤•, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤•, à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से विशेष उपयोगी है। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में कैलादेवी, नागौर, डूंगरपà¥à¤°, जैसलमेर, अजमेर, पà¥à¤·à¥à¤•à¤°, अलवर आदि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में लगने वाले मेले उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय हैं जो जनता के लिठà¤à¤• उतà¥à¤¸à¤µ बन जाते हैं। लोकगीतों से मेलों में लोकसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की à¤à¤²à¤• à¤à¥€ दिखाई देने लगती है। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में आयोजित होने वाले ये मेले à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¸à¤µ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हैं।
How to cite this article:
डाॅ0 संतोष गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾. राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मेले à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¸à¤µ. Int J Appl Res 2014;1(1):324-327.