Vol. 1, Issue 12, Part J (2015)
विकास की अवधारणा और जनजातीय कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°
विकास की अवधारणा और जनजातीय कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°
Author(s)
डॉ. सरà¥à¤µà¤œà¥€à¤¤ दà¥à¤¬à¥‡
Abstract
आज के जमाने के सबसे पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• शबà¥à¤¦ है- विकास। किंतॠविकास के नाम पर पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के साथ बहà¥à¤¤ ही अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° हो रहा है,जिसके कारण कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£à¤¸à¤‚बंधी समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ हमारे समकà¥à¤· उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो रही हैं। दूसरे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में तथाकथित आधà¥à¤¨à¤¿à¤• विकास वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में मनà¥à¤·à¥à¤¯ को विनाश के रासà¥à¤¤à¥‡ पर ले जा रहा है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की सदा से सहचरी रही है और जनजातीय जीवन इसका सबसे उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ उदाहरण रहा है। औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के बाद विकास के नाम पर जंगल काट दिठगठऔर पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ के आवास बना लिठगà¤à¥¤ लेकिन à¤à¤• सीमा के बाद अब पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ से बदला ले रही है। à¤à¤¸à¥‡ में विकास की अवधारणा पर पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤šà¤¾à¤° जरूरी है और साथ ही जनजातीय कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पर à¤à¥€ विचार करने की आज जरूरत है। इस संदरà¥à¤ में यह शोध लेख उपयोगी à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है।
How to cite this article:
डॉ. सरà¥à¤µà¤œà¥€à¤¤ दà¥à¤¬à¥‡. विकास की अवधारणा और जनजातीय कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°. Int J Appl Res 2015;1(12):688-691.