Vol. 1, Issue 2, Part D (2015)
चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का मूलाधार:- लय
चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का मूलाधार:- लय
Author(s)
डाॅ. अरविनà¥à¤¦ मैनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¾
Abstract
‘‘विषà¥à¤£à¥à¤§à¤°à¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¤®à¥‘‘ और ‘‘शिलà¥à¤ªà¤°à¤¤à¥à¤¨à¤®à¥‘‘ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° और उससे जà¥à¥œà¥€ कलाओं के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में चितà¥à¤°à¤•à¤²à¤¾ का वरà¥à¤—ीकरण, रागातà¥à¤®à¤• यरà¥à¤¥à¤¾à¤¥à¤µà¤¾à¤¦à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में हà¥à¤† है विषà¥à¤£à¥à¤§à¤°à¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¤®à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤£ में कहा गया है कि, नृतà¥à¤¯ कला के आरमà¥à¤à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के बिना चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में मनसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ संà¤à¤µ नही है। चितà¥à¤° सृजन करते समय रूप, आकार, à¤à¤¾à¤µ, à¤à¤µà¤‚ वरà¥à¤£-योजना का सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯à¤¬à¥‹à¤§ लय की ही अनà¥à¤à¥‚ति के समरूप होना आवशà¥à¤¯à¤• है। चितà¥à¤°à¤•à¤²à¤¾ के सजृन में नृतà¥à¤¯ की मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤µ à¤à¤‚गीमाओं की गति को मूलाधार माना गया है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में माधà¥à¤¯à¤® के सà¥à¤¤à¤° पर à¤à¤²à¥‡ ही अनà¥à¤¤à¤° सà¥à¤¥à¥‚ल होता है परनà¥à¤¤à¥ चितà¥à¤°, मूतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ नृतà¥à¤¯ के ये संसार लय परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ से जà¥à¥œà¥‡ होते है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कला के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤¸, शिव को माना गया है। शिव का तांडव, नृतà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कला à¤à¤µà¤‚ धरà¥à¤® का शाशà¥à¤µà¤¤à¥ सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ है। इसके अनेक अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ व रूप कलाओं के विविध विधाओं में मिलते है। जो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कला के उचà¥à¤šà¤¤à¤®à¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को उजागर करती है।।
How to cite this article:
डाॅ. अरविनà¥à¤¦ मैनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¾. चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का मूलाधार:- लय. Int J Appl Res 2015;1(2):257-258.