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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 1, Issue 4, Part G (2015)

सामाजिक व्यवस्था संबंधी नेहरू एवं गाँधी जी के विचारों की प्रार्थमिकता

सामाजिक व्यवस्था संबंधी नेहरू एवं गाँधी जी के विचारों की प्रार्थमिकता

Author(s)
डाॅ॰ जितेन्द्र प्रसाद
Abstract
स्वतंत्रता संग्राम के क्रम में नेहरू जी अनवरत रूप से महात्मा गाँधी के सम्पर्क में रहें और उनके विचारों से व्यापक रूप में प्रभावित होते रहे, जिसके कारण समाजिक राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक विचारों से अनवरत रूप से प्रभावित होते रहें। महात्मा गाँधी हमेशा भारत के लिए भारतीय परिपेक्ष में सोचते थे और उसे व्यवहारिक रूप में भारत की धरती पर उतारने का प्रयत्न करते थे। इसी कारण से नेहरू जी भी भारतीय परिपेक्ष में सोचने और उसे भारत की धरती पर उतारने की कला में प्रवीण होते गये। वर्तमान समाज में जमीन्दारों एवं पूंजीपतियों के यहाँ बिना मजदूरी के मजदूर लोग काम करते हैं। इससे उनका आर्थिक शोषण होता है। इस प्रथा को समाप्त करके यह प्रथा लागू की जायेगी कि बिना मजदूरी के कोई भी व्यक्ति किसी के यहाँ काम नही करेगा और उचित मजदूरी प्राप्त करके ही काम करेगा। यह प्रथा सामन्ती समान का प्रतीक है। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में यह प्रथा कभी भी नही रहेगी। नेहरू जी सामाजिक व्यवस्था से बँधुआ मजदूरी को भी समाप्त करने के समर्थक हैं। बॅधुआ मजदूरी एक सामाजिक कलंक है। इससे गरीबो को शोषण होता है। बॅघुआ मजदूरी के कारण उनको भरपेट भोजन तक भी नसीब नहीं होता है। इस प्रकार नेहरू जी गाँधी जी के विचारों से प्रभावित होकर एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था की कल्पना करते हैं जिससे प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र होकर स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करेगा। जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का सम्यक विकास होगा। इस समाज में बाल विवाह की प्रथा नहीं रहेगी। बाल विवाह के कारण समाज में विधवाओं की संख्या बहुत हो जाती है। इसलिए विधवा विवाह को प्रोत्साहन देकर विधवाओं को उचित प्रश्रय दिया जायेगा।
Pages: 386-388  |  896 Views  467 Downloads
How to cite this article:
डाॅ॰ जितेन्द्र प्रसाद. सामाजिक व्यवस्था संबंधी नेहरू एवं गाँधी जी के विचारों की प्रार्थमिकता. Int J Appl Res 2015;1(4):386-388.
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