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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

g-index: 90

Vol. 1, Issue 9, Part K (2015)

गांधी-दर्शन

गांधी-दर्शन

Author(s)
डॉ. सर्वजीत दुबे
Abstract
गांधी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर को यूएनओ ने "विश्व अहिंसा दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय किया। आखिर क्यों जरूरत पड़ी गांधी की? क्योंकि आज वैश्वीकरण के जमाने में लोग एक-दूसरे के नजदीक आ गए लेकिन दिलों की दूरी बनी रही। तन के स्तर पर नजदीक आने से मन की दूरियां समाप्त नहीं होती। इसके लिए सभी का मूल स्रोत एक होना जरूरी है। गांधी को बचपन में ही ऐसा संस्कार मिला, जिसके अनुसार उनकी दृढ़ मान्यता बनी कि सभी एक ईश्वर की संतानें हैं-"ईशावास्यमिदं सर्वं". फिर उनके लिए ईश्वर ही सत्य हो गया और सत्य ही ईश्वर हो गया। यदि सबका मूल उद्गम एक है तो "अहिंसा" अनिवार्यरूपेण और स्वाभाविकरूपेण फलेगी। यह शोध लेख गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को आज की सबसे बड़ी आवश्यकता के रूप में देखता है।
Pages: 727-730  |  299 Views  95 Downloads


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How to cite this article:
डॉ. सर्वजीत दुबे. गांधी-दर्शन. Int J Appl Res 2015;1(9):727-730.
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