Vol. 1, Issue 9, Part K (2015)
गांधी-दरà¥à¤¶à¤¨
गांधी-दरà¥à¤¶à¤¨
Author(s)
डॉ. सरà¥à¤µà¤œà¥€à¤¤ दà¥à¤¬à¥‡
Abstract
गांधी के जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ 2 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को यूà¤à¤¨à¤“ ने "विशà¥à¤µ अहिंसा दिवस" के रूप में मनाने का निरà¥à¤£à¤¯ किया। आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ जरूरत पड़ी गांधी की? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज वैशà¥à¤µà¥€à¤•à¤°à¤£ के जमाने में लोग à¤à¤•-दूसरे के नजदीक आ गठलेकिन दिलों की दूरी बनी रही। तन के सà¥à¤¤à¤° पर नजदीक आने से मन की दूरियां समापà¥à¤¤ नहीं होती। इसके लिठसà¤à¥€ का मूल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ à¤à¤• होना जरूरी है। गांधी को बचपन में ही à¤à¤¸à¤¾ संसà¥à¤•à¤¾à¤° मिला, जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उनकी दृढ़ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ बनी कि सà¤à¥€ à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° की संतानें हैं-"ईशावासà¥à¤¯à¤®à¤¿à¤¦à¤‚ सरà¥à¤µà¤‚". फिर उनके लिठईशà¥à¤µà¤° ही सतà¥à¤¯ हो गया और सतà¥à¤¯ ही ईशà¥à¤µà¤° हो गया। यदि सबका मूल उदà¥à¤—म à¤à¤• है तो "अहिंसा" अनिवारà¥à¤¯à¤°à¥‚पेण और सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤•à¤°à¥‚पेण फलेगी। यह शोध लेख गांधी के सतà¥à¤¯ और अहिंसा के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों को आज की सबसे बड़ी आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ के रूप में देखता है।
How to cite this article:
डॉ. सरà¥à¤µà¤œà¥€à¤¤ दà¥à¤¬à¥‡. गांधी-दरà¥à¤¶à¤¨. Int J Appl Res 2015;1(9):727-730.