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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 2, Issue 1, Part B (2016)

रहस्यवाद और कबीर

रहस्यवाद और कबीर

Author(s)
गुंजन कुमारी
Abstract
कबीर के रहस्यवाद को समझने के लिए सर्वप्रथम रहस्यवाद, अनंध्द, ध्यान-योग, उलटबांसी के मूल में निहित जो मूल आषय है उसे समझने की जरूरत है। कबीर में जो रहस्य भावना है, उसका कारण तन को देवालय बनाकर उसी में अपने ईष्वर के साक्षात्कार का प्रयत्न है। इस रहस्य भावना के अनेक प्रतीकार्थ है। कबीर का रहस्यवाद बहुत हद तक आज भी रहस्य ही है। मनुष्य का असली धर्म इस मायालोक से मुक्त होने में है, इस संसार रूपी नैहर को छोड़कर बाबुल के घर जाने में है। कबीर की यह घोषणा उन्हें रहस्यमयी साधना का अनुगामी बनती प्रतीत होती है।
Pages: 126-127  |  7383 Views  6981 Downloads
How to cite this article:
गुंजन कुमारी. रहस्यवाद और कबीर. Int J Appl Res 2016;2(1):126-127.
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