Vol. 2, Issue 1, Part F (2016)
संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की संवैधानिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿
संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की संवैधानिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿
Author(s)
डॉ. सरà¥à¤µà¤œà¥€à¤¤ दà¥à¤¬à¥‡
Abstract
हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ पर आधारित है। हमारे सामाजिक अनà¥à¤·à¥à¤ ानों और संसà¥à¤•à¤¾à¤° की à¤à¤¾à¤·à¤¾ के रूप में यह आज à¤à¥€ जीवित है। विचारों और à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठà¤à¤¾à¤·à¤¾ सबसे सशकà¥à¤¤ माधà¥à¤¯à¤® है। à¤à¤¸à¥‡ में विराट विचारों और उदातà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को देने वाली संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के लिठसंविधान में कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ है, हमें अवशà¥à¤¯ जानना चाहिà¤à¥¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के संरकà¥à¤·à¤£ का अधिकार मौलिक अधिकार है, à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने वाली संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का संरकà¥à¤·à¤£ और संवरà¥à¤§à¤¨ करना जरूरी है। लेकिन संरकà¥à¤·à¤£ और संवरà¥à¤§à¤¨ के लिठसंविधान में दी गई शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना जरूरी है। इस दिशा में यह शोध लेख à¤à¤• विनमà¥à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है।
How to cite this article:
डॉ. सरà¥à¤µà¤œà¥€à¤¤ दà¥à¤¬à¥‡. संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की संवैधानिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿. Int J Appl Res 2016;2(1):390-394.