Vol. 2, Issue 1, Part K (2016)
जैन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में नारी शिकà¥à¤·à¤¾
जैन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में नारी शिकà¥à¤·à¤¾
Author(s)
डाॅ0 संतोष गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾
Abstract
पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में शिकà¥à¤·à¤¾ के महतà¥à¤µ पर परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला गया है। शिकà¥à¤·à¤¾ से विà¤à¥‚षित होने पर जीवन सफल होने का à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में मिलता है। नारी शिकà¥à¤·à¤¾ के संबंध में जैन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में यह à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता है कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल मेे नारी को समà¥à¤šà¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जाती थी। उस समय कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जाती थी। उस समय शिकà¥à¤·à¤¾ लिखित तथा मौखिक दोनों ही रूपों में दी जाती थी। जैन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में नारी शिकà¥à¤·à¤¾ को चार à¤à¤¾à¤—ों में बाà¤à¤‚टा जा सकता है-वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾, बौदà¥à¤§à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾, राजनीतिक शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ धारà¥à¤®à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾à¥¤ जितनी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की शिकà¥à¤·à¤¾à¤à¤à¤‚ उस समय नारी जानती थी वैसी शायद आज दà¥à¤°à¥à¤²à¤ है।
How to cite this article:
डाॅ0 संतोष गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾. जैन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में नारी शिकà¥à¤·à¤¾. Int J Appl Res 2016;2(1):754-757.