Vol. 2, Issue 1, Part L (2016)
à¤à¥‚दान आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾: आचारà¥à¤¯ विनोबा à¤à¤¾à¤µà¥‡
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Author(s)
डाॅ. पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstractà¤à¤¾à¤°à¤¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ हà¥à¤•à¥‚मत से आजाद हो चà¥à¤•à¤¾ था, पर इसके बाद à¤à¥€ कई à¤à¤¸à¥€ बेड़ियाठसमाज को जकड़े हà¥à¤ थी, जिसे जलà¥à¤¦ से जलà¥à¤¦ तोड़ना बहà¥à¤¤ जरूरी था। इन बेड़ियों में कई जिनà¥à¤¦à¤—ी कैद थी। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ जाते-जाते à¤à¤¾à¤°à¤¤ को हर तरह से कमजोर कर गये थे। कई लोग इस तरह से गरीब हो गये थे कि उनके पास रहने à¤à¤° के लिठà¤à¥€ जगह नहीं थी।
इस विà¤à¥€à¤·à¤¿à¤•à¤¾ का अंदाजा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तब लगा जब वे असà¥à¤¸à¥€ हरिजन परिवारों से मिले और उनकी बातें सà¥à¤¨à¥€à¥¤ इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के जरिये आचारà¥à¤¯ विनोबा à¤à¤¾à¤µà¥‡ उन गरीबों की मदद करना चाहते थे, जिसके पास रहने तक के लिठà¤à¥€ जगह नहीं थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सबसे पहले अपनी à¤à¥‚मि दान में दी और फिर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में घूम-घूम कर लोगों से उनकी जमीन का छठवाठहिसà¥à¤¸à¤¾ गरीब परिवारों के लिठदेने के बात कही।
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डाॅ. पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. à¤à¥‚दान आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ पà¥à¤°à¤£à¥‡à¤¤à¤¾: आचारà¥à¤¯ विनोबा à¤à¤¾à¤µà¥‡. Int J Appl Res 2016;2(1):872-873.