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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 2, Issue 1, Part M (2016)

विज्ञापन जनकला का एक स्वरूप

विज्ञापन जनकला का एक स्वरूप

Author(s)
डाॅ. अनिल गुप्ता
Abstract
एक कलाकार की जन उद्देश्य युक्त कलाकृति खुले स्थान पर आमजन के बीच प्रदर्शित होती है तो वह जनकला (पब्लिक आर्ट) कहलायेगी और उसी कलाकार की दूसरी कृति किसी संग्रहालय में या सात सितारा होटल में या फिर राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शित की जा रही है तो वो जनकला के अन्तर्गत नहीं आयेगी भले ही उसमें जनहित उद्देश्य भरा पड़ा हो। क्योंकि वो कलाकृति आमजन की पहुँच से बहुत दूर है, जिसे देखने का सौभाग्य भी आम जनता का नहीं है, अगर उसी कृति को स्थानान्तरित कर सार्वजनिक खुले स्थान पर जनता के समक्ष प्रदर्शित कर दिया जाये तो वह कलाकृति जनकला की संज्ञा धारण कर लेती है।
Pages: 926-928  |  780 Views  165 Downloads


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How to cite this article:
डाॅ. अनिल गुप्ता. विज्ञापन जनकला का एक स्वरूप. Int J Appl Res 2016;2(1):926-928.
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