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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 2, Issue 11, Part G (2016)

रीवा जनपद में भूक्षरण का कृषि पर प्रभाव

रीवा जनपद में भूक्षरण का कृषि पर प्रभाव

Author(s)
अनिल कुमार पाण्डेय, डाॅ. सुषीला द्विवेदी
Abstract
रीवा जनपद का तस्तरीनुमा स्वरूप इस बात को स्पष्ट करता है कि यह क्षेत्र समुद्र के तत्वों से भरा था। भूगार्भिक दृष्टि से रीवा जनपद में परतदार चट्टानों की प्रधानता पायी जाती है। जनपद में पाये जाने वाले मोटे बालू का पत्थर परतदार चट्टान भी उक्त स्थिति को स्पष्ट करते हैं। रीवा जनपद के जवा, त्यौथर, नईगढ़ी, हनुमना, मऊगंज एवं हनुमना विकासखण्ड में लगभग 263 ग्रामों के 354 हजार व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से भू-क्षरण जनित समस्याओं से ग्रसित हैं। भू-क्षरण एक भौतिक प्रक्रिया है, जो विभिन्न प्रकार से मानव के लिए हानिकारक सिद्ध होती, इसके परिणाम स्वरूप मानव की सामाजिक-आर्थिक क्रियाएँ, सांस्कृतिक, राजनैतिक, स्वास्थ्य एवं समस्त प्रकार के क्रिया कलापों को प्रभावित करते हुए अनेक प्रकार की पर्यावरणीय समस्याओं के उद्भवीत करती है।
Pages: 467-470  |  1645 Views  284 Downloads


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How to cite this article:
अनिल कुमार पाण्डेय, डाॅ. सुषीला द्विवेदी. रीवा जनपद में भूक्षरण का कृषि पर प्रभाव. Int J Appl Res 2016;2(11):467-470.
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