Vol. 2, Issue 5, Part P (2016)
‘विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿-पदावली’ में रेखा और रंगों का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£
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Author(s)
शोà¤à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
मिथिलांचलीय संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ अपने में समाठहà¥à¤ ‘विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ पदावली’ में जीवन के विविध रंग हैं, विविध ढंग है। वहाठजीवन की संपूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ अपने तमाम संदरà¥à¤à¥‹à¤‚ के साथ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ ने विविध मनोà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को शबà¥à¤¦ के माधà¥à¤¯à¤® से संजोने का काम किया है। ये विविध मनोà¤à¤¾à¤µ चितà¥à¤°à¤•à¤²à¤¾ की कसौटी पर à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤‚जित होती हà¥à¤ˆ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है। ‘विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿-पदावली’ अनेक रेखाचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ से à¤à¤°à¥‡ पड़े हैं। इस रेखाचितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का मà¥à¤–à¥à¤¯ आधार कृषà¥à¤£-लीला-संबंधी चितà¥à¤°, नायक-नायिका संबंधी पà¥à¤°à¥‡à¤® के संयोग à¤à¤µà¤‚ वियोग पकà¥à¤· के चितà¥à¤°, नोंक-à¤à¥‹à¤‚क, समेत पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के बहà¥à¤¤ सारे रूप हैं। विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ ने अपने कावà¥à¤¯-लेखन के कà¥à¤°à¤® में यहाठके लोक में फैली लोक-चितà¥à¤°-कला की विविध शैलियों तथा रेखा और रंगों के वैविधà¥à¤¯à¤®à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अवशà¥à¤¯ रखा होगा, तà¤à¥€ तो उनकी कविताà¤à¤ चितà¥à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हो सकी हैं।
How to cite this article:
शोà¤à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. ‘विदà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿-पदावली’ में रेखा और रंगों का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£. Int J Appl Res 2016;2(5):1123-1127.