Vol. 2, Issue 8, Part K (2016)
वीरेन डंगवाल का कावà¥à¤¯-शिलà¥à¤ª
वीरेन डंगवाल का कावà¥à¤¯-शिलà¥à¤ª
Author(s)
राजेश कà¥à¤®à¤¾à¤°
Abstract
अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤• और शिलà¥à¤ªà¤—त संरचनातà¥à¤®à¤• विशेषता के कारण ही कोई कृति रचनातà¥à¤®à¤• साहितà¥à¤¯ का दरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करती है । कविता में à¤à¤¾à¤·à¤¾-शिलà¥à¤ª की यह संरचनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ अनà¥à¤¯ साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• विधाओं की अपेकà¥à¤·à¤¾ कहीं अधिक होती है। साहितà¥à¤¯ अकादमी से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¥ƒà¤¤, समकालीन हिनà¥à¤¦à¥€ कविता के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° वीरेन डंगवाल अपनी कविता में सपाटबयानी जैसे सरल-सहज कावà¥à¤¯-शिलà¥à¤ª से लेकर तà¥à¤•à¤¬à¤¨à¥à¤¦à¥€ तक का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पूरी संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ के साथ करते हैं। यह सहज-सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• शैली ही उनके कावà¥à¤¯-शिलà¥à¤ª की वह विशेषता है जो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समकालीन कवियों में विशिषà¥à¤Ÿ बनाती है तथा लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ के शिखर तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¤à¥€ है। यह सहजता और सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ उसी कविता में समà¥à¤à¤µ है जिसका रचनाकार कवि सामानà¥à¤¯ जन-जीवन के यथारà¥à¤¥ से गहरे जà¥à¥œà¤¾ हो। सामानà¥à¤¯ जन-जीवन के यथारà¥à¤¥ से यह गहरा जà¥à¥œà¤¾à¤µ ही à¤à¤• रचनाकार-कलाकार और उसकी कृति की सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾ है।
How to cite this article:
राजेश कà¥à¤®à¤¾à¤°. वीरेन डंगवाल का कावà¥à¤¯-शिलà¥à¤ª. Int J Appl Res 2016;2(8):754-758.