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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 2, Issue 8, Part K (2016)

वीरेन डंगवाल का काव्य-शिल्प

वीरेन डंगवाल का काव्य-शिल्प

Author(s)
राजेश कुमार
Abstract
अपनी भाषिक और शिल्पगत संरचनात्मक विशेषता के कारण ही कोई कृति रचनात्मक साहित्य का दर्जा प्राप्त करती है । कविता में भाषा-शिल्प की यह संरचनात्मकता अन्य साहित्यिक विधाओं की अपेक्षा कहीं अधिक होती है। साहित्य अकादमी से पुरस्कृत, समकालीन हिन्दी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर वीरेन डंगवाल अपनी कविता में सपाटबयानी जैसे सरल-सहज काव्य-शिल्प से लेकर तुकबन्दी तक का प्रयोग पूरी संप्रेषणीयता के साथ करते हैं। यह सहज-स्वाभाविक शैली ही उनके काव्य-शिल्प की वह विशेषता है जो उन्हें समकालीन कवियों में विशिष्ट बनाती है तथा लोकप्रियता के शिखर तक पहुँचाती है। यह सहजता और स्वाभाविकता उसी कविता में सम्भव है जिसका रचनाकार कवि सामान्य जन-जीवन के यथार्थ से गहरे जुड़ा हो। सामान्य जन-जीवन के यथार्थ से यह गहरा जुड़ाव ही एक रचनाकार-कलाकार और उसकी कृति की सार्थकता है।
Pages: 754-758  |  2772 Views  339 Downloads
How to cite this article:
राजेश कुमार. वीरेन डंगवाल का काव्य-शिल्प. Int J Appl Res 2016;2(8):754-758.
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