Abstractजीवन-मूलà¥à¤¯ का अरà¥à¤¥ जीवन में गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की अवधारणा से है जिनसे जीवन समà¥à¤¨à¥à¤¨à¤¤ à¤à¤µà¤‚ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤®à¤¯ बनता है। जीवन-मूलà¥à¤¯ ही जीवन को अरà¥à¤¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¤µà¤‚ उपयोगी बनाते हैं à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° "धरà¥à¤®" का अरà¥à¤¥ है धारण करना “धारणातॠधरà¥à¤®à¤ƒ” अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जिसे हृदय में धारण किया जाये वही "धारणातॠधरà¥à¤®" है जिससे मानव अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। यथा नीति वचनों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आहार-निदà¥à¤°à¤¾-à¤à¤¯-मैथà¥à¤¨, मानव तथा अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में समान हैं, "धरà¥à¤®" ही मानव को अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से अलग करता है-
“आहारनिदà¥à¤°à¤¾à¤à¤¯à¤®à¥ˆà¤¥à¥à¤¨à¤žà¥à¤š,
सामानà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤¤à¤¦à¥ पशà¥à¤à¤¿à¤°à¥à¤¨à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤®à¥
धरà¥à¤®à¥‹ हि तेषामधिको विशेषो
धरà¥à¤®à¥‡à¤£ हीनः पशà¥à¤à¤¿à¤°à¥à¤¸à¤®à¤¾à¤¨à¤¾à¤ƒà¥¤”1
जीवन मूलà¥à¤¯ का अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ है जीवन को गà¥à¤£ गरिमा से मंडित बनाना जिससे वह सारà¥à¤¥à¤• बन सके। धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में धरà¥à¤® के दस लकà¥à¤·à¤£ बताये गये हैं। यथा-
घृतिकà¥à¤·à¤®à¤¾ दमोऽसà¥à¤¤à¥‡à¤¯à¤‚ शौचमिनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¨à¤¿à¤—à¥à¤°à¤¹à¤ƒà¥¤
धीरà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯à¤®à¤•à¥à¤°à¥‹à¤§à¤‚ दशकं धरà¥à¤®à¤²à¤•à¥à¤·à¤£à¤®à¥à¥¥2
धरà¥à¤® के दस लकà¥à¤·à¤£ (धृति-कà¥à¤·à¤®à¤¾-दम-असà¥à¤¤à¥‡à¤¯, शौच-इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ निगà¥à¤°à¤¹, घी-विदà¥à¤¯à¤¾-सतà¥à¤¯ और अकà¥à¤°à¥‹à¤§) ही à¤à¤¸à¥‡ मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धारण करना जीवन को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ और उनà¥à¤¨à¤¤ बनाना है। आदिकवि वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ ने रामायणमॠकी रचना कर इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ जीवन मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जीवन में चरितारà¥à¤¥ करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दी है।