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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 1, Part C (2017)

भारत में वृद्धजनों कीं सामाजिक सुरक्षा की समस्याः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

भारत में वृद्धजनों कीं सामाजिक सुरक्षा की समस्याः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Author(s)
मधु कुमारी
Abstract
भारत एक ऐसा देश है जिसमें सबसे अधिक युवा आबादी है, लेकिन वृद्धावस्था के लगभग 8 प्रतिशत लोगों का घर है। वृद्धावस्था का दुव्र्यवहार आजकल परिवार से दूर होने, महत्व कम करने और बीमारियों के कारण एक आम दृश्य है। उनकी शारीरिक अक्षमता, पड़ोसियों, रिश्तेदारों और प्रियजनों द्वारा एकांतवास के कारण हत्या, चोट, डकैती जैसे अपराधों की प्रवृत्ति बढ़ रही है। एनसीआरबी 2017 के आंकड़ों के अनुसार 2014 के आंकड़ों की तुलना में बुजुर्गों के खिलाफ 9.7 प्रतिशत अपराधों में वृद्धि हुई है। अपराधी आमतौर पर उनके रिश्तेदार होते हैं जिन पर वे निर्भर होते हैं। हालाँकि बुजुर्गों के उत्पीड़न से निपटने के लिए कई कानून हैं, फिर भी कुछ पहल करने की ज़रूरत है। इसलिए, इस पत्र में बुजुर्ग दुरुपयोग, इसके प्रकार और कारणों के अर्थ और प्रकृति पर चर्चा किया गया है। इसके अलावा बुजुर्ग उत्पीड़न के संबंध में विधायी रूपरेखा और राहत प्रदान करने के लिए न्यायपालिका द्वारा निभाई गई भूमिका पर चर्चा की गई है। अंतिम मंे कुछ समुदाय आधारित पहल जैसे कुछ सुझाव देने की कोशिश किया गया है। यहां पर माध्यमिक डेटा को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो और हेल्प एज इंडिया (भारत में एब्यूज, 2018) की रिपोर्टों से लिया गया है और बुजुर्गों के शिकार पर प्रकाशित केस कार्यवाही और शोध पत्रों की समीक्षा की गई है। यद्यपि बुजुर्गों के उत्पीड़न से संबंधित कई विधायी प्रावधान हैं, फिर भी समुदाय के पुलिसिंग, बुजुर्गों के अधिकारों के बारे में जागरूकता और ऐसे मुद्दों के बारे में संवेदनशील कार्यक्रमों के बारे में कुछ समुदाय आधारित पहल करने की आवश्यकता है।
Pages: 217-219  |  490 Views  73 Downloads
How to cite this article:
मधु कुमारी. भारत में वृद्धजनों कीं सामाजिक सुरक्षा की समस्याः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Appl Res 2017;3(1):217-219.
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