Vol. 3, Issue 1, Part L (2017)
à¤à¤–नो पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚गिक अछि ‘दू कà¥à¤¹à¥‡à¤¸à¤• बाट’
à¤à¤–नो पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚गिक अछि ‘दू कà¥à¤¹à¥‡à¤¸à¤• बाट’
Author(s)
गीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
कम शबà¥à¤¦ मे बहà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¸ बात कहनिहार, साहितà¥à¤¯à¤•à¥‡à¤‚ सूतà¥à¤°à¤®à¥‡ लिखनिहार, निशà¥à¤šà¥à¤›à¤² जल सदृशà¥à¤¯ बहनिहार, नव पौधकें उचित खाद, जल पटौनिहार, साहितà¥à¤¯à¤®à¥‡ खà¥à¥‚ाब लमà¥à¤¬à¤¾ डाà¤à¤°à¤¿ खिचनिहार, à¤à¤¹à¤¨ जे छवि सोंà¤à¤¾à¤à¤®à¥‡ ठाॠहोइत अछि ओ थिकाह-जीवकानà¥à¤¤à¥¤ ई अपना समयक पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¤¸à¤ बेसी लिखकà¥à¤•à¥œ साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° छलाह तकरे परिणाम थिक जे कविता, कथा, बाल साहितà¥à¤¯, आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾, उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ अतिरिकà¥à¤¤ ई निबनà¥à¤§, समीकà¥à¤·à¤¾, पोथी-परिचय आ सामाजिक समसà¥à¤¯à¤¾ पर गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ लिखलनि जे मैथिली साहितà¥à¤¯à¤• निधि पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ à¤à¥‡à¤²à¥¤ ई पाà¤à¤š गोट उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिखलाह- ‘‘दू कà¥à¤¹à¥‡à¤¸à¤• बाट’’, ‘‘पीयर गà¥à¤²à¤¾à¤¬ छल’’, ‘‘नहि कतहॠनहि’’, ‘‘पनिपत’’ आ ‘‘अगà¥à¤¨à¤¿à¤¬à¤¾à¤¨’’। मà¥à¤¦à¤¾, à¤à¤¤à¤¯ हम, ‘‘दू कà¥à¤¹à¥‡à¤¸à¤• बाटक’’ चरà¥à¤šà¤¾ कऽ रहल छी।
How to cite this article:
गीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. à¤à¤–नो पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚गिक अछि ‘दू कà¥à¤¹à¥‡à¤¸à¤• बाट’. Int J Appl Res 2017;3(1):886-887.