Vol. 3, Issue 1, Part L (2017)
तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ की रचनाओं में छनà¥à¤¦ और संगीत
तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ की रचनाओं में छनà¥à¤¦ और संगीत
Author(s)
संगीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤¾
Abstract
गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€ दास वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿, वà¥à¤¯à¤¾à¤¸, कालिदास, होमर, शेकà¥à¤¸à¤ªà¥‡à¤¯ आदि के अतर के विषà¥à¤µà¤•à¤µà¤¿ हैं इनके पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• रचना में छनà¥à¤¦ और संगीतातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का विषेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा गया है। मà¥à¤•à¥à¤¤à¤• कावà¥à¤¯ की संगीतातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾à¤®à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤‚जना, à¤à¤¾à¤µà¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤à¤¿, सहज अनà¥à¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ शैलीगत सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾, à¤à¤¾à¤·à¤¾ की सà¥à¤•à¥à¤®à¤¾à¤°à¤¤à¤¾ आदि ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ का समावेष कर तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ कावà¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ का उतà¥à¤•à¤°à¥à¤· à¤à¥€ किया है और शरीर का शृंगार à¤à¥€à¥¤ रामचरित मानस के संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ शà¥à¤²à¥‹à¤• को छोड़कर शेष संपूरà¥à¤£ महाकावà¥à¤¯ में दोहा-चैपाई और सोरठा में ही रचना की गई है, यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ à¤à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤°à¤¾ और पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° लय-गति-ताल का अनà¥à¤·à¤°à¤£ करते हà¥à¤ हरिगीतिका आदि छंदो के उपयोग के अनेक उदाहरण मिलते हैं। गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ की अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कृतियों में कवितावली और हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ बाहà¥à¤•à¤° के पà¥à¤°à¤¿à¤¯ छंद कवितà¥à¤µ और सवैया है। ‘‘रामाजा पà¥à¤°à¤·à¥à¤¨’’ और ‘दोहावली’ में दोहा छनà¥à¤¦ ‘‘पारà¥à¤µà¤¤à¥€ मंगल’’ और जानकी मंगला सोहर और हरिगीतिका छनà¥à¤¦ का उपयोग दिखाई देता है। विनय पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ गीतावली और ‘‘कृषà¥à¤£ गीतावली’’ में पà¥à¤°à¤—ीत और मà¥à¤•à¥à¤¤à¤• के रचनातंतà¥à¤° का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— है। पद शैली में रचित ये पà¥à¤°à¤—ति और मà¥à¤•à¥à¤¤à¤• कलà¥à¤¯à¤¾à¤£, गौरी, असावरी, à¤à¥ˆà¤°à¤µà¥€, केदारी धनाशà¥à¤°à¥€, मलà¥à¤¹à¤¾à¤°, रामकली, होड़ी, मारू, विलाव आदि राग रागनियों में निबदà¥à¤§ हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ हरिदास की संगीत परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ से रस-सिकà¥à¤¤ गायन शैली का लाठउठाते हà¥à¤ और बà¥à¤°à¤œà¤à¤¾à¤·à¤¾ की मà¤à¤œà¥€ हà¥à¤ˆ पà¥à¤°à¤—ीतातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ का निखार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हà¥à¤ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ ने संगीत के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ अपनी गहरी अà¤à¤¿à¤°à¥‚चि और रागमयता का परिचय दिया है।
How to cite this article:
संगीता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤¾. तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ की रचनाओं में छनà¥à¤¦ और संगीत. Int J Appl Res 2017;3(1):957-959.