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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

IMPACT FACTOR (RJIF): 8.4

Vol. 3, Issue 1, Part L (2017)

प्रतिमा: एक विश्लेषण

प्रतिमा: एक विश्लेषण

Author(s)
डाॅ. अनिल गुप्ता
Abstract
भारत में प्रतिमा निर्माण की परम्परा अति प्राचीन है। सैन्धव-सभ्यता के अवशेषों में अनेक मिट्टी की बनी हुई नारी मूर्तियां प्राप्त हुई है, जो सामान्य दुनियांबी मूर्तियों से कुछ भिन्न है। इन मूर्तियों से ऐसा प्रतीत होता है कि इसके द्वारा किसी देवी का अंकन अभिष्ट था। सैन्धव सभ्यता के पश्चात मौर्य युग में कला की अभूतपूर्व उन्नति हुई इस काल में भी हमें प्रतिमा शिल्प के श्रेष्ठ उदाहरण मिलते हैं। गुप्तकाल में चुनार पत्थर पर सारनाथ के कलाकारों ने बुद्ध की अनेक प्रतिमाओं का निर्माण किया था।
भारत में मंदिर निर्माण की परम्परा का प्रारूप बौद्ध स्तूपों और चैत्यों में पाया जा सकता है। गुप्तकाल में इन्हीं से प्रभावित होकर हिन्दू मंदिरों का विकास हुआ था।
Pages: 1009-1011  |  579 Views  73 Downloads
How to cite this article:
डाॅ. अनिल गुप्ता. प्रतिमा: एक विश्लेषण. Int J Appl Res 2017;3(1):1009-1011.
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