Vol. 3, Issue 10, Part D (2017)
बी. à¤à¤¡. पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ अपà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
बी. à¤à¤¡. पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ अपà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s)
निधि सिंघल, डाॅ. जà¥à¤¬à¤°à¤¾à¤œ खमारी
Abstract
मूलà¥à¤¯à¤ªà¤°à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ जो किसी समाज à¤à¤µà¤‚ देश के चहà¥à¤à¤®à¥à¤–ी विकास का आधार है इसको आगे बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठशिकà¥à¤·à¤• वरà¥à¤— को आगे आना होगा। इससे मूलà¥à¤¯ आधारित शिकà¥à¤·à¤¾ के दिवà¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ à¤à¤¸à¥‡ मानवों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होगा जो आचारवान, समाज सेवी, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से ओत-पà¥à¤°à¥‹à¤¤ à¤à¤µà¤‚ शारीरिक, मानसिक, बौदà¥à¤§à¤¿à¤•, à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• à¤à¤µà¤‚ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पूरà¥à¤£ विकसित हो। मूलà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾ के अà¤à¤¾à¤µ में, समाज के हिंसक होने और समाज की आधारà¤à¥‚त संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं जैसे परिवार विवाह आदि के टूटने, à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° के बà¥à¤¨à¥‡ तथा चरितà¥à¤° पतन होने से समाज में सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ का समावेष नहीं हो सकता है। यही कारण है कि देश की à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति होने के बावजूद à¤à¥€ देश को अराजकता की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ पड़ रहा है। अतः शिकà¥à¤·à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यह पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाना चाहिठकि वांछित उचà¥à¤šà¤¤à¤® मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का विकास हो सके और यह तà¤à¥€ संà¤à¤µ है जब शिकà¥à¤·à¤• में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का समावेष हों ।
How to cite this article:
निधि सिंघल, डाॅ. जà¥à¤¬à¤°à¤¾à¤œ खमारी. बी. à¤à¤¡. पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ अपà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Appl Res 2017;3(10):232-236.