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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 11, Part C (2017)

राम-नाम की महिमा

राम-नाम की महिमा

Author(s)
डाॅ0 अशोक कुमार दुबे
Abstract
श्रीभगवान् के रूप, लीला और गुणों की भाँति ही उनका नाम भी अप्राकृत और चिदानन्दमय है। नाम अलौकिक शक्ति सम्पन्न है। नाम के प्रभाव ऐश्वर्य, मोक्ष और भगवत्पे्रम तक की प्राप्ति हो सकती है। नामाभास को छोड़कर गुरुप्रदत्त शक्ति से सम्पन्न नाम का यदि विधिपूर्वक अभ्यास किया जाय तो उससे जीव के सभी पुरुषार्थ सिद्ध हो सकते हैं। नाम के जाग्रत होने पर उसके प्रभाव से सद्गुरु की प्राप्ति और तदनन्तर सद्गुरु से इष्ट मन्त्र-रूपी विशुद्ध बीज की प्राप्ति हो सकती है। बीज के क्रम-विकास से चैतन्य की अभिव्यक्ति होती है और देह एवं मन की सारी मलिनता दूर होकर सिद्धावस्था का उदय हो जाता है। मन्त्रसिद्धि वस्तुतः भूतशुद्धि और चिŸाशुद्धि के फलस्वरूप होती है। इस अवस्था में स्वभाव की प्राप्ति हो जाती है, इसलिये समस्त अभावों की निवृत्ति हो जाती है। यद्यपि यह अवस्था सिद्धावस्था के अन्तर्गत मानी जाती है; परन्तु यही भगवद्जन नहीं होता। इसलिये और राजमार्ग के भगवद्जन की सुलभता के लिये अशुद्ध देह के उच्चस्तर पर भाव-देह की अभिव्यक्ति आवश्यक होती है। भाव-देह में जो भजन होता है, वह स्वभाव का भजन होता है, वह विधि-मार्ग की नियमबद्ध उपासना नहीं है। मन्त्र-चैतन्य के बाद, विधिमार्ग की कोई सार्थक्ता नहीं रह जाती।
Pages: 186-187  |  1021 Views  104 Downloads


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How to cite this article:
डाॅ0 अशोक कुमार दुबे. राम-नाम की महिमा. Int J Appl Res 2017;3(11):186-187.
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