Vol. 3, Issue 11, Part C (2017)
राम-नाम की महिमा
राम-नाम की महिमा
Author(s)
डाॅ0 अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° दà¥à¤¬à¥‡
Abstract
शà¥à¤°à¥€à¤à¤—वानॠके रूप, लीला और गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ ही उनका नाम à¤à¥€ अपà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ और चिदाननà¥à¤¦à¤®à¤¯ है। नाम अलौकिक शकà¥à¤¤à¤¿ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ है। नाम के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯, मोकà¥à¤· और à¤à¤—वतà¥à¤ªà¥‡à¥à¤°à¤® तक की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो सकती है। नामाà¤à¤¾à¤¸ को छोड़कर गà¥à¤°à¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿ से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ नाम का यदि विधिपूरà¥à¤µà¤• अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाय तो उससे जीव के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ सिदà¥à¤§ हो सकते हैं। नाम के जागà¥à¤°à¤¤ होने पर उसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से सदà¥à¤—à¥à¤°à¥ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ और तदननà¥à¤¤à¤° सदà¥à¤—à¥à¤°à¥ से इषà¥à¤Ÿ मनà¥à¤¤à¥à¤°-रूपी विशà¥à¤¦à¥à¤§ बीज की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो सकती है। बीज के कà¥à¤°à¤®-विकास से चैतनà¥à¤¯ की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ होती है और देह à¤à¤µà¤‚ मन की सारी मलिनता दूर होकर सिदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का उदय हो जाता है। मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ à¤à¥‚तशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ और चिŸाशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प होती है। इस अवसà¥à¤¥à¤¾ में सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो जाती है, इसलिये समसà¥à¤¤ अà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ की निवृतà¥à¤¤à¤¿ हो जाती है। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ यह अवसà¥à¤¥à¤¾ सिदà¥à¤§à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त मानी जाती है; परनà¥à¤¤à¥ यही à¤à¤—वदà¥à¤œà¤¨ नहीं होता। इसलिये और राजमारà¥à¤— के à¤à¤—वदà¥à¤œà¤¨ की सà¥à¤²à¤à¤¤à¤¾ के लिये अशà¥à¤¦à¥à¤§ देह के उचà¥à¤šà¤¸à¥à¤¤à¤° पर à¤à¤¾à¤µ-देह की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आवशà¥à¤¯à¤• होती है। à¤à¤¾à¤µ-देह में जो à¤à¤œà¤¨ होता है, वह सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का à¤à¤œà¤¨ होता है, वह विधि-मारà¥à¤— की नियमबदà¥à¤§ उपासना नहीं है। मनà¥à¤¤à¥à¤°-चैतनà¥à¤¯ के बाद, विधिमारà¥à¤— की कोई सारà¥à¤¥à¤•à¥à¤¤à¤¾ नहीं रह जाती।
How to cite this article:
डाॅ0 अशोक कà¥à¤®à¤¾à¤° दà¥à¤¬à¥‡. राम-नाम की महिमा. Int J Appl Res 2017;3(11):186-187.