Vol. 3, Issue 12, Part H (2017)
जैनेनà¥à¤¦à¥à¤° रचित “सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾” की सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ रहसà¥à¤¯ और दरà¥à¤¶à¤¨ की à¤à¤• चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ अनबूठपहेली
जैनेनà¥à¤¦à¥à¤° रचित “सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾” की सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ रहसà¥à¤¯ और दरà¥à¤¶à¤¨ की à¤à¤• चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ अनबूठपहेली
Author(s)
डॉ. ममता रानी अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤²
Abstract
विवाह संसà¥à¤¥à¤¾ तथा वैयकà¥à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤‚दता के अनà¥à¤¤à¤ƒà¤¸à¤‚घरà¥à¤· की उपज जैनेनà¥à¤¦à¥à¤° की सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ है । सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ और उसके पति शà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾à¤‚त दोनों इस बात से सहमत हैंकि विवाह,जो कि कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬ या समाज कायम रखने के लिठà¤à¤• रूढ़िवादी संसà¥à¤¥à¤¾ है, निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ योगà¥à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾ है । दोनों की इस सहमति से यह बात सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होती है कि विवाह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के à¤à¤¾à¤µ की सतà¥à¤¤à¤¾ नहीं , समाज की सतà¥à¤¤à¤¾ बनाये रखने के निमितà¥à¤¤ संसà¥à¤¥à¤¾ है ।जब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के à¤à¤¾à¤µ की सतà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤² होती है तो जंगल के à¤à¤•à¤¾à¤¨à¥à¤¤ में सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ संसà¥à¤¥à¤¾ की सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाती है,उसका संकलà¥à¤ª टूट जाता है और जब वह शà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के पास आती है,तो उस संसà¥à¤¥à¤¾ की मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ और शिषà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° के साथ । सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ “सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾” की सबसे सजीव और मौलिक पातà¥à¤° है । उसके शील निरूपण का कà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• विकास सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ लकà¥à¤·à¤¿à¤¤ होता है । सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ पहले शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ पतà¥à¤¨à¥€ है,फिर चिमन पतà¥à¤¨à¥€, फिर पति के मà¥à¤à¤¹ से दूसरे पà¥à¤°à¥‚ष की तारीफ सà¥à¤¨à¤•à¤° अवयसà¥à¤• पतà¥à¤¨à¥€, फिर कौतूहल तथा धीरे-धीरे गà¥à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® की नारी हो जातीहै । फिर पति और पति के मितà¥à¤° के बीच का दà¥à¤µà¤¨à¥à¤¦ का अनà¥à¤à¤µ करती है । पति से कातर होकर सहारा मांगती है और अनà¥à¤¤ में अपने पति दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पतà¥à¤¨à¥€ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से मà¥à¤•à¥à¤¤ किठजाने पर à¤à¤•à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पाते ही दूसरे को नगà¥à¤¨ समरà¥à¤ªà¤£ à¤à¥€ कर देती है ।
How to cite this article:
डॉ. ममता रानी अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤². जैनेनà¥à¤¦à¥à¤° रचित “सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾” की सà¥à¤¨à¥€à¤¤à¤¾ रहसà¥à¤¯ और दरà¥à¤¶à¤¨ की à¤à¤• चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ अनबूठपहेली. Int J Appl Res 2017;3(12):569-573.