Vol. 3, Issue 2, Part G (2017)
वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ बनाम आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾
वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ बनाम आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾
Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstractशिकà¥à¤·à¤¾ जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की होगी,मानव का जीवन à¤à¥€ उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का होगा। फल बता देता है कि वृकà¥à¤· किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का है-आम का या बबूल का। आज शिकà¥à¤·à¤¾ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ डिगà¥à¤°à¥€ बांटने वाले केंदà¥à¤° मातà¥à¤° बनकर रह गठहैं, जिससे बेरोजगार यà¥à¤µà¤¾ निकल रहे हैं। à¤à¤¸à¥‡ में आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ पर विचार किया जाना चाहिठजो कौशल और चरितà¥à¤° पैदा करने में असफल मानी जा रही है। à¤à¤¸à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ को गहराई से देखने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है जिससे चरितà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¨ और गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨ पीढ़ी ने निकल कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ को विशà¥à¤µà¤—à¥à¤°à¥ के पद पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित किया।
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ बनाम आधà¥à¤¨à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾. Int J Appl Res 2017;3(2):516-521.