Vol. 3, Issue 2, Part G (2017)
गीता के नैतिक निहितारà¥à¤¥ और उनकी पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ में à¤à¥‚मिका
गीता के नैतिक निहितारà¥à¤¥ और उनकी पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ में à¤à¥‚मिका
Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstract
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® से लेकर मृतà¥à¤¯à¥ तक कोई न कोई करà¥à¤® अवशà¥à¤¯ करते रहता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि परमातà¥à¤®à¤¾ ने जो ऊरà¥à¤œà¤¾ दी है, उससे करà¥à¤® सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤•à¤°à¥à¤ªà¥‡à¤£ नि:सृत होते रहता है। अतः à¤à¤• बड़ा सवाल उठता है कि किस करà¥à¤® को किया जाठऔर किस करà¥à¤® को न किया जाà¤? दूसरा बड़ा सवाल यह à¤à¥€ है कि करà¥à¤® को कैसे किया जाà¤? उपनिषदों की सार गीता ने इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का बड़ा मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• और सूकà¥à¤·à¥à¤® विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ किया है। यह शोध लेख à¤à¤• विनमà¥à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है कि समà¤à¤¾ जा सके कि गीता का नैतिक निहितारà¥à¤¥ कà¥à¤¯à¤¾ है और उसकी पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ में कà¥à¤¯à¤¾ कोई à¤à¥‚मिका हो सकती है? आशा है इससे जीवन की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ कà¥à¤› साफ हो सकेगी।
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. गीता के नैतिक निहितारà¥à¤¥ और उनकी पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ में à¤à¥‚मिका. Int J Appl Res 2017;3(2):522-524.