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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 3, Part E (2017)

दुनिया के अन्य राष्ट्र में जाति संस्था नहीं

दुनिया के अन्य राष्ट्र में जाति संस्था नहीं

Author(s)
MkW0 dkess”oj izlkn
Abstract
आधुनिक भारत में जात-पात और अछूतपन के लिखाफ डाॅ0 अम्बेडकर ने जितना भी जन-आन्दोलन किए है। सभी के दिलो दिमाग को झकझोरने का काम किया। महात्मा ज्योतिबा फूले ने भी अछूतपन विनाश के विरोध में आन्दोलन चलाये किन्तु मूल प्रवत्र्तक आन्दोलन में परिवर्तित नहीं कर सके। प्रबोधनकार ठाकरे ने अपनी जीवनी के अनुभव में लिखे है कि महाराष्ट्र में कोई महिला पाँव में जूता या चप्पल पहनकर चलने की हिम्मत क्या कोई कर सकती थी, प्रसिद्ध उपन्यासकार यशपाल ने उत्तरी भारत की अछूत जाति डुमणांे की सामाजिक स्थिति का वर्णन किया है। बाबू एल0एन0 हरदास महार जाति के नेता थे किन्तु उनकी शादी के लिए गेहूँ का आटा चक्की में नहीं पीसा गया था। सन् 1844 ई0 में लार्ड एडनबरो के समय ब्रिटिश भारत में कानूनी दृष्टि से गुलामी प्रथा बंद कर दी गई थी। ब्रिटिश पूर्व काल में जो भी शासन किया अछूतपन एवं जात-पात के विरोध में कोई कानून नहीं बनाया था, परन्तु ब्रिटिश कानून व्यवस्था के द्वारा अछूतपन एवं जात-पात निर्मूलन की पहली युगांतकारी एवं क्रंातिकारी घटना थी। जाति व्यवस्था और अछूतपन रहते भारत में लोकतंत्र का मजबुत होना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है। इस तरह के स्पष्ट संकेत बाबा साहेब डाॅ0 अम्बेडकर ने भारत के संविधान के सभा सामने दिये थे।
Pages: 295-298  |  1423 Views  61 Downloads
How to cite this article:
MkW0 dkess”oj izlkn. दुनिया के अन्य राष्ट्र में जाति संस्था नहीं. Int J Appl Res 2017;3(3):295-298.
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