Vol. 3, Issue 3, Part I (2017)
शिकà¥à¤·à¤¾ और साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आरà¥à¤¯ समाज का योगदान
शिकà¥à¤·à¤¾ और साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आरà¥à¤¯ समाज का योगदान
Author(s)
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोध शिकà¥à¤·à¤¾ और साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का योगदान पर आधारित है। शिकà¥à¤·à¤¾ किसी à¤à¥€ समाज में चलने वाली निरंतर à¤à¤µà¤‚ उदृदेशà¥à¤¯ पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है। इसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ की जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विकास और उसके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है तथा वह देश के लिठà¤à¤• योगà¥à¤¯ नागरिक बनता है। शिकà¥à¤·à¤¾ के अà¤à¤¾à¤µ में वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के विकास की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ असंà¤à¤µ नही है कà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ शिकà¥à¤·à¤¾ ही हमें अपने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¥à¤°à¤¤à¤¿ करà¥à¤¤à¤µà¤¯à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ बनाता है। इसके पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ सà¤à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की मनà¥à¤·à¥à¤¯ नकल करके आज हम नैतिकता और आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ से दà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤¤à¥‡ जा रह है। वतà¥à¤°à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ सें बिलà¥à¤•à¥à¤² अलग है। आज के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿ में असंतोष à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ हीनता बेरोजगारी, कतà¥à¤°à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤ªà¤²à¤¾à¤¯à¤¤à¤¨à¤¾ की समसà¥à¤¯à¤¾ जटिल होती है आज की शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ आदरà¥à¤¶à¥€ का समावेश करके इन सà¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं सें छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤° पाया जा सकता है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ या वैदिक शिकà¥à¤·à¤¾ के मूलà¤à¥‚त आदरà¥à¤¶ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾, सेवा आदर, अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ थें। इन सà¤à¥€ आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ का अनà¥à¤•à¤°à¤£ कर हम वतà¥à¤°à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ और साहितà¥à¤¯ का योगदान बना सकते है। शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¿à¤¤ के उपरांत वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सकारातà¥à¤®à¤• सोच à¤à¤µ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• परिवरà¥à¤¤à¤¨ देखा जा सकता है।
How to cite this article:
पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. शिकà¥à¤·à¤¾ और साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आरà¥à¤¯ समाज का योगदान. Int J Appl Res 2017;3(3):570-575. DOI:
10.22271/allresearch.2017.v3.i3i.7547