Vol. 3, Issue 3, Part M (2017)
पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¤®à¥‚लक हिंदी और उसकी पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤
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Author(s)
डॉ.उतà¥à¤¤à¤® पटेल
Abstract
जिस हिंदी के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से हमें रोजी-रोटी मिले, वह पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¤®à¥‚लक हिंदी है। हिंदी का यह वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ व आधà¥à¤¨à¤¿à¤• रूप है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ हिंदी का रूप बोलचाल व साहितà¥à¤¯ तक ही सीमित था। जब कि आज की यह पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¤®à¥‚लक हिंदी अपनी अलग-अलग पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ से जीवन की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ माधà¥à¤¯à¤® बन गई है। जिसका सबसे पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ रूप विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ में देखने मिलता है।
How to cite this article:
डॉ.उतà¥à¤¤à¤® पटेल. पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¤®à¥‚लक हिंदी और उसकी पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤. Int J Appl Res 2017;3(3):827-831.