Vol. 3, Issue 4, Part D (2017)
कानà¥à¤¹à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ का विकास
कानà¥à¤¹à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ का विकास
Author(s)
डाॅ. रामजी पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯ à¤à¤µà¤‚ डाॅ. पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤° सिंह
Abstract
परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ मानव जीवन की अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं में से à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ ततà¥à¤µ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ मनोरंजन के लिये नये-नये साधन à¤à¤µà¤‚ उपकà¥à¤°à¤® खोजता है। आरà¥à¤¥à¤¿à¤• समृदà¥à¤§à¤¿ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक पà¥à¤°à¤—ति मनà¥à¤·à¥à¤¯ की इस पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ को पोषित à¤à¤µà¤‚ पलà¥à¤²à¤µà¤¿à¤¤ करते हैं। धन खरà¥à¤š कर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की सैर की आकांकà¥à¤·à¤¾ रखने वालों को उनके धन का उचित मूलà¥à¤¯ मिले इस आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ के कारण à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ का विकास à¤à¤µà¤‚ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं का नवीनीकरण आवशà¥à¤¯à¤• हो जाता है। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ समसà¥à¤¤ बिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त रखते हà¥à¤ कानà¥à¤¹à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• विकास को समà¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ रेखांकित किया जा सकता है।
How to cite this article:
डाॅ. रामजी पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯ à¤à¤µà¤‚ डाॅ. पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤° सिंह. कानà¥à¤¹à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ का विकास. Int J Appl Res 2017;3(4):255-258.