Vol. 3, Issue 5, Part I (2017)
महादेवी के कावà¥à¤¯ में रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦
महादेवी के कावà¥à¤¯ में रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦
Author(s)
डाॅ. मनीषा शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾
Abstractसमगà¥à¤°à¤¤à¤ƒ छायावादी साहितà¥à¤¯ में रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ का जो सà¥à¤µà¤°à¥‚प विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है, वह आरà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की उपज है। छायावादी कवियों के रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ पर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ विचारधाराओं का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ दिखायी देता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वैदिक साहितà¥à¤¯ से अदà¥à¤µà¥ˆà¤¤ की छाया गà¥à¤°à¤¹à¤£ की और लौकिक पà¥à¤°à¥‡à¤® का समनà¥à¤µà¤¯ करके उसे बोधगमà¥à¤¯ बना दिया। उनकी रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ गूॠन होकर सरल तथा मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ जगतॠकी अवासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ का बोध कराकर मानव जीवन को ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤¨à¥à¤®à¥à¤– तथा चरितà¥à¤° पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ बनाया।
वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ छायावाद के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में जो विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धारणायें आरमà¥à¤ से पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ वे अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ उतावली में बना ली गयी थीं। इसी कारण कहीं से à¤à¤•à¤¾à¤‚गी हैं और कहीं पर अतà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¥¤ सच तो यह है कि छायावादी कविताओं में à¤à¤• साथ तीन-तीन कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हà¥à¤ˆà¤‚, जिससे यह कावà¥à¤¯à¤§à¤¾à¤°à¤¾ पहले बनकर आयी। पहली कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ विचार और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में हà¥à¤ˆ, दूसरी कला के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में और तीसरी साहितà¥à¤¯ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में। यह परिवरà¥à¤¤à¤¨ इतनी तेजी से हà¥à¤† कि लोग उसे समठनहीं पाये। अनà¥à¤§à¥‹à¤‚ के देश में आà¤à¤§à¥€ के जैसे विविध परिà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤ होती हैं। उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ में हिनà¥à¤¦à¥€ आलोचना कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में छायावादी कविता का सà¥à¤µà¤¾à¤—त हà¥à¤†à¥¤ आज बहà¥à¤¤ समय बीत जाने पर लोगों के समà¥à¤¯à¤• रूप से छायावादी कविता और उसके महतà¥à¤µ को समà¤à¤¾ तथा सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया है।
How to cite this article:
डाॅ. मनीषा शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾. महादेवी के कावà¥à¤¯ में रहसà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦. Int J Appl Res 2017;3(5):611-615.