Vol. 3, Issue 5, Part L (2017)
तेजपाल सिंह ‘तेज‘ के कावà¥à¤¯ में जन-जागरण
तेजपाल सिंह ‘तेज‘ के कावà¥à¤¯ में जन-जागरण
Author(s)
डॉ. देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦
Abstractजितना मैंने तेजपाल सिंह ‘तेज’ को उनके साहितà¥à¤¯-करà¥à¤® की निजता के आधार पर जाना-पहचाना है, उसके आधार पर मà¥à¤à¥‡ यह कहने में कोई à¤à¤¿à¤à¤• नहीं है कि वे à¤à¤• साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° के रूप में सामाजिक यथारà¥à¤¥ के चितेरे, जग-जीवन के वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¾ और वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ के साधक तो हैं ही, साथ ही उनके कावà¥à¤¯ में मानव-जीवन की अनà¥à¤ªà¤® छवियाठदेखने को मिलती हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मानव-जीवन के यथारà¥à¤¥ का चितà¥à¤°à¤£ किया है। उनका कावà¥à¤¯ उनके अनà¥à¤à¤µ से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ है। वे à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ समाज का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होते देखना चाहते हैं, जिसमें सà¤à¥€ सà¥à¤–ी हों, कà¥à¤¤à¥à¤¸à¤¿à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤, रूà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤, कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤, शोषण, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯-अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° और आडंबर न हांे ।
तेजपाल सिंह ‘तेज’ का दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ मानवतावादी है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने किसी à¤à¥€ रूप में पीड़ा à¤à¥‹à¤—ने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सहानà¥à¤à¥‚ति का à¤à¤¾à¤µ ही नहीं दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾, अपितॠसंवेदना को महतà¥à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की है। साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° के लिठसंवेदनशील होना पहला और आवशà¥à¤¯à¤• गà¥à¤£ है। तेजपाल सिंह ‘तेज’ संवेदनशील होने के साथ-साथ à¤à¤•à¤œà¤¾à¤—रूक और जà¥à¤à¤¾à¤°à¥‚ नागरिक à¤à¥€ हैं। यह बात उनकी ग़ज़लों, गीतों, कविताओं और गदà¥à¤¯ साहितà¥à¤¯ से सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होती है।
How to cite this article:
डॉ. देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦. तेजपाल सिंह ‘तेज‘ के कावà¥à¤¯ में जन-जागरण. Int J Appl Res 2017;3(5):882-886.