Vol. 3, Issue 6, Part Q (2017)
à¤à¤•à¥ˆà¤¸à¤® शताबà¥à¤¦à¥€à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प विवेचन
à¤à¤•à¥ˆà¤¸à¤® शताबà¥à¤¦à¥€à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प विवेचन
Author(s)
à¤à¤¾à¤—वत मंडल
Abstract
जावत धरि साहितà¥à¤¯ समाजक वसà¥à¤¤à¥ नहि बनत, ताबत धरि ओकरा पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समाजक लोक मे समरà¥à¤ªà¤£à¤• à¤à¤¾à¤µ नहि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हेतैक। इतिहास गवाह अछि जे कतेको चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ साहितà¥à¤¯ समाजक सà¥à¤µà¤°à¥‚प बदलि देलकैक। आइ à¤à¤•à¥ˆà¤¸à¤® शताबà¥à¤¦à¥€ मे साहितà¥à¤¯ संग समाज सेहो सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° बनि विचरण करय चाहैत अछि। परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤•-दोसर समानताक रथ पर सवार नव जागृति आनय चाहैत अछि। रचनाकार लोकनि परिधि सठबाहर à¤à¤½ गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ मानसिकता वला लोकक नबà¥à¤œ टटोलि रहल छथि। à¤à¤¹à¤¿ कड़ीमे ‘मौलाइल गाछक फà¥à¤²’ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤• रचयिता शà¥à¤°à¥€ जगदीश पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ मंडल छथि। ई पहिल वेर शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨, नà¥à¤¯à¥‚ राजेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤—र, नई दिलà¥à¤²à¥€ सठ2009 ई० मे पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ à¤à¥‡à¤²à¥¤ ई à¤à¤•à¥ˆà¤¸à¤® शतीक पहिल दशकक उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ अछि। शà¥à¤°à¥€ मंडल जी तरकारीक खेती करैत लगातार मैथिली साहितà¥à¤¯à¤• रचना मे लागल छथि।
How to cite this article:
à¤à¤¾à¤—वत मंडल. à¤à¤•à¥ˆà¤¸à¤® शताबà¥à¤¦à¥€à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प विवेचन. Int J Appl Res 2017;3(6):1210-1212.