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International Journal of Applied Research
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Vol. 3, Issue 6, Part Q (2017)

एकैसम शताब्दीक उपन्यासक स्वरूप विवेचन

एकैसम शताब्दीक उपन्यासक स्वरूप विवेचन

Author(s)
भागवत मंडल
Abstract
जावत धरि साहित्य समाजक वस्तु नहि बनत, ताबत धरि ओकरा प्रति समाजक लोक मे समर्पणक भाव नहि उत्पन्न हेतैक। इतिहास गवाह अछि जे कतेको चर्चित साहित्य समाजक स्वरूप बदलि देलकैक। आइ एकैसम शताब्दी मे साहित्य संग समाज सेहो स्वतंत्र बनि विचरण करय चाहैत अछि। परस्पर एक-दोसर समानताक रथ पर सवार नव जागृति आनय चाहैत अछि। रचनाकार लोकनि परिधि सँ बाहर भऽ ग्रसित मानसिकता वला लोकक नब्ज टटोलि रहल छथि। एहि कड़ीमे ‘मौलाइल गाछक फुल’ उपन्यासक रचयिता श्री जगदीश प्रसाद मंडल छथि। ई पहिल वेर श्रुति प्रकाशन, न्यू राजेन्द्रनगर, नई दिल्ली सँ 2009 ई० मे प्रकाशित भेल। ई एकैसम शतीक पहिल दशकक उपन्यास अछि। श्री मंडल जी तरकारीक खेती करैत लगातार मैथिली साहित्यक रचना मे लागल छथि।
Pages: 1210-1212  |  797 Views  130 Downloads


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How to cite this article:
भागवत मंडल. एकैसम शताब्दीक उपन्यासक स्वरूप विवेचन. Int J Appl Res 2017;3(6):1210-1212.
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