Vol. 3, Issue 6, Part S (2017)
भारतीय शास्त्रीय संगीत में विद्युत प्रचार संसाधनों का योगदान
भारतीय शास्त्रीय संगीत में विद्युत प्रचार संसाधनों का योगदान
Author(s)
डाॅ. रंजना गा्रेवर
Abstractसंगीत एक ऐसी कला है इसमें नज़रिया अपना-अपना वाली कहावत चरितार्थ होती है। मानव के लिए मनोरंजन का साधन, संतों के लिए मोक्ष प्राप्ति का माध्यम, प्रेमियों के जीवन का उल्लास, एकांतवास में मित्र, विरहाग्नि से पीड़ित मन को शान्ति प्रदान करने वाला और अपाहिज एवं अपादाग्रस्त प्राणियों की सहचरी ही नहीं अपितु इस प्रकार के सैकड़ा गुणों के अतिरिक्त इस कला में और भी अनेक विशेषताएं है, जो अप्रत्यक्ष और अदृश्य होते हुए भी कोई इसे अस्वीकार नहीं कर सकता। यदि हम संगीत के इतिहास को विशेषतौर पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के इतिहास को थोड़ा पीछे मुड़कर देखें, तो वास्तविकता यह है कि शास्त्रीय संगीत इतना लोकप्रिय कभी नहीं रहा जितना आज के युग में। इस बात का प्रमाणित करने के लिए हमें इतिहास पर दृष्टिपात करना होगा।
How to cite this article:
डाॅ. रंजना गा्रेवर. भारतीय शास्त्रीय संगीत में विद्युत प्रचार संसाधनों का योगदान. Int J Appl Res 2017;3(6):1380-1381.