Contact: +91-9711224068
International Journal of Applied Research
  • Multidisciplinary Journal
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

IMPACT FACTOR (RJIF): 8.4

Vol. 3, Issue 7, Part S (2017)

समष्टि-भाव की पोषक संस्कृत भाषा

समष्टि-भाव की पोषक संस्कृत भाषा

Author(s)
डॉ. सर्वजीत दुबे
Abstract
वैश्वीकरण के इस युग में लोग पाश्चात्य सभ्यता के प्रवाह में बहे जा रहे हैं। विदेशी साहित्य और सभ्यता के प्रति मोहासक्त लोग भारतीय संस्कृति के प्रति उदासीन हो गए हैं। आंग्ल भाषा उन्हें संजीवनी बूटी सी लगती है जबकि संस्कृत भाषा अनावश्यक भार। अपनी संस्कृति की भाषा से कट जाने के कारण संस्कृत के संबंध में कई प्रकार की भ्रांतियां प्रचलित हैं। वैश्वीकरण के भौतिकता प्रधान आधुनिक युग में अध्यात्म प्रधान संस्कृत भाषा के बारे में कई भ्रांतियों के निराकरण हेतु वस्तुस्थिति को सामने लाना जरूरी है। अनेक महत्वपूर्ण भ्रांतियों में से एक प्रमुख भ्रांति यह है कि 21वीं सदी में पुरातन विचारों से भरी हुई संस्कृत भाषा क्या योगदान कर सकती हैं?
Pages: 1509-1511  |  215 Views  57 Downloads
How to cite this article:
डॉ. सर्वजीत दुबे. समष्टि-भाव की पोषक संस्कृत भाषा. Int J Appl Res 2017;3(7):1509-1511.
Call for book chapter
International Journal of Applied Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals