Vol. 3, Issue 7, Part S (2017)
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® की पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® की पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता
Author(s)
कमल कानà¥à¤¤ शरà¥à¤®à¤¾
Abstract
बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ साहितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का वह मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ बौदà¥à¤§à¤¿à¤•, नैतिक à¤à¤µà¤‚ सामाजिक तथा मानवतावादी जीवन पकà¥à¤· है जो समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ मानवता को अतीत की à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ आज à¤à¥€ अरà¥à¤¨à¥à¤¤à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® अतà¥à¤¯à¤‚त निरà¥à¤®à¤², निषà¥à¤•à¤²à¤‚क, निशà¥à¤›à¤², सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¥€à¤¤, सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤•, सारà¥à¤µà¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤•, सनातन, वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ आशà¥à¤«à¤²à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ है, इसमें पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾, शील, समाधि, सदाचार व धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ के माधà¥à¤¯à¤® से शरीर व चिŸà¤¾ के पारसà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का यथाà¤à¥‚त दरà¥à¤¶à¤¨ करते हà¥à¤ मन के अंदर की गहराईयों में निरीकà¥à¤·à¤£ करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤ªà¤‚च मय अनितà¥à¤¯à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¨à¥€ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ को जागृत किया जाता है, ताकि मन à¤à¤µà¤‚ शरीर को विकार मà¥à¤•à¥à¤¤ किया जा सके। अतः बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के साथ-साथ उसे शà¥à¤¦à¥à¤§ चिŸà¤¾, विकार रहित शरीर व सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦ वातावरण यà¥à¤•à¥à¤¤ जीवन पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। अपने अतीत के गौरव को याद रखकर चलना ही à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ है। दूसरे को हानि न पहà¥à¤‚चाना ही बà¥à¤¦à¥à¤§ का दरà¥à¤¶à¤¨ है। ‘अतà¥à¤¤ दीपो à¤à¤µ’ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना आज की महती आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। आज के इस वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ à¤à¥‚मंडलीकरण के रूप में जब पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ आतंकवाद, कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦, जातिवाद, à¤à¤µà¤‚ वरà¥à¤šà¤¶à¥à¤µ के संघरà¥à¤·à¤°à¤¤ है तो à¤à¤—वान बà¥à¤¦à¥à¤§ की करà¥à¤£à¤¾ सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ विशà¥à¤µ शांति का संदेश संपूरà¥à¤£ विशà¥à¤µ का मारà¥à¤— दरà¥à¤¶à¤¨ करेगा।
How to cite this article:
कमल कानà¥à¤¤ शरà¥à¤®à¤¾. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® की पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता. Int J Appl Res 2017;3(7):1442-1445.