Vol. 3, Issue 7, Part S (2017)
ओमकारनाथ ठाकà¥à¤° का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संगीत को योगदान
ओमकारनाथ ठाकà¥à¤° का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संगीत को योगदान
Author(s)
डाॅ. रंजना गाà¥à¤°à¥‡à¤µà¤°
Abstract
अमूलà¥à¤¯ रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ से परिपूरà¥à¤£ जाजà¥à¤µà¤²à¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वसंधà¥à¤°à¤¾ का आंचल कितना सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€, कितना पवितà¥à¤° और कितना अनोखा है, यह किसी से छिपा नहीं है। यह रतà¥à¤¨à¤®à¤¯à¥‹ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤à¥‚मि अपने अंतरण में जहां असंखà¥à¤¯ मणि-मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤à¤‚ छिपाठबैठी है, वहीं इसके आंचल में समय समय पर à¤à¤¸à¥‡ रतà¥à¤¨ à¤à¥€ पैदा हà¥à¤, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी तपसà¥à¤¯à¤¾, सृजनातà¥à¤®à¤• कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤—त कला की कठोर तपसà¥à¤¯à¤¾ के बल पर à¤à¤¾à¤°à¤¤ की समृदà¥à¤§ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अकà¥à¤·à¥à¤£ बनाठरखने तथा उसके वैविधà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤µà¤°à¥‚पों को नित नवीन विधि से संवारने, सजाने à¤à¤µà¤‚ जन-जन के समकà¥à¤· उसे सी रूप में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर जनता को असीम आनà¥à¤¨à¤¦ सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ का वाध कगरà¥à¤¨ में अपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ अपति कर दिया। उनà¥à¤¹à¥€ महानॠपà¥à¤°à¥‚षों में है ‘मंगोतमातंड’, पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ पं. ओमकारनाथ ठाकà¥à¤°, जिनका नाम संगीताकाश में ‘मारà¥à¤¤à¤¡’ की à¤à¤¾à¤‚ति आज à¤à¥€ देदीपà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है।
How to cite this article:
डाॅ. रंजना गाà¥à¤°à¥‡à¤µà¤°. ओमकारनाथ ठाकà¥à¤° का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संगीत को योगदान. Int J Appl Res 2017;3(7):1482-1483.