Contact: +91-9711224068
International Journal of Applied Research
  • Multidisciplinary Journal
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

IMPACT FACTOR (RJIF): 8.4

Vol. 3, Issue 8, Part C (2017)

सुभद्रा कुमारी चैहान की समकालीन परिस्थितिया

सुभद्रा कुमारी चैहान की समकालीन परिस्थितिया

Author(s)
अंशुला मिश्रा
Abstract
सुभद्रा कुमारी चैहान आधुनिक काल की साहित्यिक सृजेता थी। समाज अन्धविश्वास और रूढ़ियों से बोझिल था। स्त्रियों को विलास की सामग्री समझा जाता था। पुरुष वर्ग भी विलासिता में डूबा हुआ था। ”अर्थाभाव के कारण समाज का जीवन-स्तर इतना निम्न हो गया कि उसके लिए जठराग्नि तक को शान्त करना भी कठिन हो रहा था। उदर-पूर्ति के लिए न जाने उन्हें किन-किन दुर्गुणों की आड़ लेनी पड़ती थी। ....... किसान दुखी था, मजदूर दुखी था और दुखी था प्रत्येक कारीगर, जिसके हाथों से उसका उद्योग-धन्धा छीना जा चुका था। विपन्न समाज का पराभव होना ही था, जिसके परिणामस्वरूप बालविवाह, दहेजप्रथा, जातिप्रथा, छुआछूत, अन्धविश्वास आदि अनेक सामाजिक कुरीतियों ने समाज को जर्जर बना दिया था।“ 1
उन्होंने उनकी सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए सुधारवादी कविताएँ लिखीं। इसके अतिरिक्त ब्रह्म समाज, आर्यसमाज आदि के द्वारा भी समाज-सुधार को बल मिला। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने ”सत्यार्थ प्रकाश“ लिखकर उसमें हिन्दू धर्म की बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया। अंग्रेजी शिक्षा तथा संस्कृति से भी सामाजिक सुधार की सम्भावनाएँ बढ़ी और भारतीयों में नयी चेतना का स्फुरण हुआ।
देश की आर्थिक स्थिति दयनीय होने पर भी ब्रिटिश सरकार ने रेल, तार, डाक आदि को प्रोत्साहित करके भारतीय खजाने को खाली कर दिया। इसके साथ ही चीन, तिब्बत, अफगान आदि की लड़ाइयों का खर्च भी भारतीय कोष से चुकाया जाता था। इसका परिणाम यह हुआ कि जनता पर आर्थिक बोझ लद गया। उनके कष्टसाध्य जीवन को देखकर भी ब्रिटिश सरकार का दिल पसीजने वाला नहीं था। इन्हीं आर्थिक विपत्तियों ने भारतीयों को संगठित होकर विदेशी शासन को समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

Pages: 171-175  |  961 Views  111 Downloads
How to cite this article:
अंशुला मिश्रा. सुभद्रा कुमारी चैहान की समकालीन परिस्थितिया. Int J Appl Res 2017;3(8):171-175.
Call for book chapter
International Journal of Applied Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals