Vol. 3, Issue 8, Part D (2017)
“जनसामानà¥à¤¯ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾”
“जनसामानà¥à¤¯ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾”
Author(s)
डॉ. सरà¥à¤µà¤œà¥€à¤¤ दà¥à¤¬à¥‡
Abstract
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पर आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ है। इस कथन का आधार यह है कि संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में निबदà¥à¤§ गà¥à¤°à¤‚थों में जीवन के सà¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से संबंधित सूकà¥à¤·à¥à¤® और विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मिलता है। लौकिक और पारलौकिक दोनों पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से संपनà¥à¤¨ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ को सिरà¥à¤« à¤à¤• वरà¥à¤— विशेष की à¤à¤¾à¤·à¤¾ होने का दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया जाठतो यह विशेष चिंता à¤à¤µà¤‚ चिंतन का विषय होना चाहिà¤à¥¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के लिठदेववाणी का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया, इसका मतलब कदापि यह नहीं लेना चाहिठकि यह जनवाणी नहीं थी। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤‚थों, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚, महाकावà¥à¤¯à¥‹à¤‚, बौदà¥à¤§ साहितà¥à¤¯, विदेशी यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विवरणों के साथ à¤à¤¾à¤·à¤¾ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ है कि संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ लोक-वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° की à¤à¤¾à¤·à¤¾ थी। किंतॠकालकà¥à¤°à¤® से साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• रूप वाले संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ और वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• रूप वाले संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में अंतर आ गया। साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ और विषय गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ के कारण संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ को देववाणी कहा जाने लगा लेकिन वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के जनसामानà¥à¤¯ में उपयोग होने से इस à¤à¤¾à¤·à¤¾ का अनà¥à¤¯ रूप विकसित होने लगा जिससे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ और आधà¥à¤¨à¤¿à¤• कई à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आईं। यदि आज संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ बोलचाल की à¤à¤¾à¤·à¤¾ नहीं है तो सामानà¥à¤¯ जन को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ से जोड़ने के लिठविशेष पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाना चाहिà¤; यदि सामानà¥à¤¯ जन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ नहीं सीख पाते हैं तब à¤à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में निहित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सामानà¥à¤¯ लोगों के लिठउनकी बोलचाल की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में उपलबà¥à¤§ कराने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाना चाहिà¤à¥¤
How to cite this article:
डॉ. सरà¥à¤µà¤œà¥€à¤¤ दà¥à¤¬à¥‡. “जनसामानà¥à¤¯ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾”. Int J Appl Res 2017;3(8):263-266.