Vol. 3, Issue 8, Part K (2017)
बौदà¥à¤§ दरà¥à¤¶à¤¨ में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
बौदà¥à¤§ दरà¥à¤¶à¤¨ में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s)
मनोज चैधरी
Abstract
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोधपतà¥à¤° में बौदà¥à¤§ दरà¥à¤¶à¤¨ में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला गया है। ईसा पूरà¥à¤µ छठी शताबà¥à¤¦à¥€ में धारà¥à¤®à¤¿à¤• आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ का पà¥à¤°à¤¬à¤²à¤¤à¤® रूप हम बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं तथा सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों में पाते है जो पालि लिपि में संकलित है, जैन परंपरा को ईसा की पाॅचवी शताबà¥à¤¦à¥€ में लिखित रूप पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया गया, इस कारण बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® से संबंदà¥à¤§ पालि साहितà¥à¤¯ वैदिक गà¥à¤°à¤‚थों के बाद सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ रचनाओं की कोटि में आता है। बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® के समà¥à¤šà¤¿à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिठइस धरà¥à¤® के तà¥à¤°à¤¿à¤°à¤¤à¥à¤¨ - बà¥à¤¦à¥à¤§ धरà¥à¤® तथा संघ तीनों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤• है। शिकà¥à¤·à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सरà¥à¤µà¤¾à¤—िंण विकास का माधà¥à¤¯à¤® है इससे मानसिक तथा बौदà¥à¤§à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ तो विकसित होती है à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जगत का à¤à¥€ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° होता है। गà¥à¤°à¥‚कà¥à¤² परंपरा में चली आ रही पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का बौदà¥à¤§ काल में परिवरà¥à¤¤à¤¨ हà¥à¤† और अब मठो तथा विहारों में दी जाने लगी। आतà¥à¤®à¤¸à¤‚यम à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पर बल दिया जाने लगा। शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सरल जीवन इसका पà¥à¤°à¤®à¥à¤– उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ था। गà¥à¤°à¥‚ शिषà¥à¤¯ के बीच सदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ और सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— था। शिकà¥à¤·à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को समाज का योगà¥à¤¯ सदसà¥à¤¯ बनाने और फिर à¤à¤¾à¤°à¤¤ को मजबूत बनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जाता था। शिकà¥à¤·à¤¾ के विषय और पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ बौदà¥à¤§ काल में काफी परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ थी। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ पर à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाने लगा।
How to cite this article:
मनोज चैधरी. बौदà¥à¤§ दरà¥à¤¶à¤¨ में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Appl Res 2017;3(8):795-798.