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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 8, Part L (2017)

वैश्वीकरण के दौर में गांधीजी के आर्थिक विचारों की प्रासंगिकता

वैश्वीकरण के दौर में गांधीजी के आर्थिक विचारों की प्रासंगिकता

Author(s)
डा. सीमा सिंह
Abstract
वर्तमान समय में भूमंडलीकरण का प्रभाव प्रत्येक राष्ट्र पर है। भारत भी उससे अछूता नहीं है। अब उपनिवेशवाद का स्थान नव उपनिवेशवाद ने ले लिया है। उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण की व्यवस्था ने विश्व व्यापार के लिए द्वार खोल दिए परंतु इस व्यवस्था में साधारण जनमानस पिछड़ गया। इस कारण गरीबी, बेरोजगारी और निर्भरता से संबंधित अनेक समस्याएं उत्पन्न हुई। वैश्विक स्तर पर व्याप्त हिंसा, मतभेद, बेरोजगारी, महंगाई तथा तनावपूर्ण वातावरण में आज बार-बार यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि गांधी जी के सत्य, अहिंसा पर आधारित दर्शन और विचारों की कितनी प्रासंगिकता है। इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था के समय में महात्मा गांधी के विचारों का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। गांधी जी को वैश्विक समाज की समझ इसलिए थी क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी और दक्षिण अफ्रीका में राजनीतिक संघर्ष की दिशा प्राप्त की थी गांधीजी की कही बातों में एक सदी का अंतर दिखाई देता है परंतु उनके विचार आज भी जीवंत जान जाते हैं।
Pages: 934-936  |  1058 Views  496 Downloads


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How to cite this article:
डा. सीमा सिंह. वैश्वीकरण के दौर में गांधीजी के आर्थिक विचारों की प्रासंगिकता. Int J Appl Res 2017;3(8):934-936.
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