Vol. 3, Issue 9, Part C (2017)
नागारà¥à¤œà¥à¤¨ के कविता में मजदूर
नागारà¥à¤œà¥à¤¨ के कविता में मजदूर
Author(s)
गà¥à¤‚जन कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
नागारà¥à¤œà¥à¤¨ को मजदूर, शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ की मजबूरी अपनी ओर आकृषà¥à¤Ÿ कर लेती है। यही कारण है कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त ईमानदारी और नैतिकता का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ सामंतवाद नहीं à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सरà¥à¤µà¤¸à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¤£ शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• जनता है। इसलिठसामंती पूà¤à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¦à¥€ के विरूदà¥à¤§ नागारà¥à¤œà¥à¤¨ ने शोषित, दलित, मजदूर जनता को अपनी कविता का विषय बनाकर उनके à¤à¥€à¤¤à¤° सामंतों के खिलाफ लड़ने की, आवाज उठाने की अजेय शकà¥à¤¤à¤¿ का संचार किया है।
How to cite this article:
गà¥à¤‚जन कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. नागारà¥à¤œà¥à¤¨ के कविता में मजदूर. Int J Appl Res 2017;3(9):195-196.