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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 9, Part I (2017)

माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य में नैतिक मूल्य

माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य में नैतिक मूल्य

Author(s)
डॉ. सविता उपाध्याय
Abstract
साहित्य सुखों और दुःखों को व्यक्त करने वाला शब्दों का व्यापार मात्र नहीं है। वह स्वयं में एक दर्शन है, स्थिर है, अविनाशी है। साहित्य की मूल आत्मा तो वह मानव विचार है, जिस पर सृष्टि ठहरी हुई है, और उसका उचित स्थान वह हृदय है जिसमें पीढ़ियाँ और युग अपने विश्वास को धरोहर की तरह छिपाकर रख सके, क्योंकि साहित्य की भूमि मानव जगत ही है। वहीं से वह अपना रस द्रव्य खींचकर पुष्ट होता है। माखन लाल जी का भी क्षेत्र जगत्-जीवन ही रहा है। इसी भूमि पर से कवि ने अपनी विषयवस्तु ग्रहण की है। उनका सम्पूर्ण जीवन त्याग, देशानुराग, स्वाभिमान, वीरत्व, आत्म सम्मान और बलिदान का अमर प्रतीक है – और ये ही भावनाएँ उनके काव्य में भी मुखरित हुई है।
Pages: 679-683  |  144 Views  25 Downloads
How to cite this article:
डॉ. सविता उपाध्याय. माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य में नैतिक मूल्य. Int J Appl Res 2017;3(9):679-683.
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