Vol. 3, Issue 9, Part I (2017)
माखनलाल चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ के कावà¥à¤¯ में नैतिक मूलà¥à¤¯
माखनलाल चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ के कावà¥à¤¯ में नैतिक मूलà¥à¤¯
Author(s)
डॉ. सविता उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯
Abstractसाहितà¥à¤¯ सà¥à¤–ों और दà¥à¤ƒà¤–ों को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने वाला शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° मातà¥à¤° नहीं है। वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ में à¤à¤• दरà¥à¤¶à¤¨ है, सà¥à¤¥à¤¿à¤° है, अविनाशी है। साहितà¥à¤¯ की मूल आतà¥à¤®à¤¾ तो वह मानव विचार है, जिस पर सृषà¥à¤Ÿà¤¿ ठहरी हà¥à¤ˆ है, और उसका उचित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वह हृदय है जिसमें पीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और यà¥à¤— अपने विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ को धरोहर की तरह छिपाकर रख सके, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि साहितà¥à¤¯ की à¤à¥‚मि मानव जगत ही है। वहीं से वह अपना रस दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ खींचकर पà¥à¤·à¥à¤Ÿ होता है। माखन लाल जी का à¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° जगतà¥-जीवन ही रहा है। इसी à¤à¥‚मि पर से कवि ने अपनी विषयवसà¥à¤¤à¥ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की है। उनका समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन तà¥à¤¯à¤¾à¤—, देशानà¥à¤°à¤¾à¤—, सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, वीरतà¥à¤µ, आतà¥à¤® समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और बलिदान का अमर पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है – और ये ही à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤ उनके कावà¥à¤¯ में à¤à¥€ मà¥à¤–रित हà¥à¤ˆ है।
How to cite this article:
डॉ. सविता उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯. माखनलाल चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ के कावà¥à¤¯ में नैतिक मूलà¥à¤¯. Int J Appl Res 2017;3(9):679-683.