Vol. 4, Issue 1, Part F (2018)
‘दà¥à¤µà¤¯à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¯' का मोकà¥à¤· अवधारणाा : à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
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Author(s)
डॉ० मनोज कà¥à¤®à¤¾à¤°
Abstract
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤‚थ ‘कà¥à¤®à¤¾à¤°à¤ªà¤¾à¤²-चरित’ का दूसरा नाम ‘दà¥à¤µà¤¯à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¯’ à¤à¥€ है। जैन गंà¥à¤°à¤¥à¥‹à¤‚ में इसे ‘दà¥à¤µà¤¯à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¯’ के नाम से ही पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ जाना जाता है। यह बीस सरà¥à¤—ों का महाकावà¥à¤¯ है। इसके रचयिता हेमचनà¥à¤¦à¥à¤° सूरि हैं। हेमचंदà¥à¤° ने मातà¥à¤° चार सरà¥à¤—ों में, अण हिलवाड पाटन के चालूकà¥à¤¯ वंषी राजा कà¥à¤®à¤¾à¤°à¤ªà¤¾à¤² के यषोमय वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का बखान किया है और शेष सरà¥à¤—ों में जैन-धरà¥à¤® की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का रोचक वरà¥à¤£à¤¨ किया है। जैन मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में ‘मोकà¥à¤·’ का अनà¥à¤¯à¤¤à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। इसे ही आलेख का विषय बनाया गया है।
How to cite this article:
डॉ० मनोज कà¥à¤®à¤¾à¤°. ‘दà¥à¤µà¤¯à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¯' का मोकà¥à¤· अवधारणाा : à¤à¤• à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Appl Res 2018;4(1):562-564.